नेताओं पर जूता फेकना अपराध! तो सैनिकों को पत्थर मारना अभिव्यक्ति की आज़ादी कैसे?

1947 में देश की आजादी के बाद से कांग्रेस ने करीब 60 सालों तक देश पर राज किया। देश में कांग्रेस का शासन था इसलिए आज भारत में जीतनी भी समस्याएं हैं उनके मूल में देखें तो हमें कांग्रेस का खराब शासन या दोहरा रवैया ही नज़र आता है। कश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक जहां देखों हमेशा देश भक्तों को ही शिकार बनाया गया, जब भी कहीं देश के खिलाफ विरोध कि आवाज उठी कांग्रेस उसके समर्थन में खड़ी दिखीं। अब तो आये दिन देश के खिलाफ देशद्रोही अभिव्यक्ति या फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर भारत माता के टुकड़े करने के लिए आवाज उठा रहे हैं और कांग्रेस उनका साथ दे रही है।

अभिव्यक्ति की आज़ादी या देश बांटने की साजिश

लोकतंत्र में सबको बोलने की आजादी है, विशेष तौरपर भारत में। यहां तो फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर कुछ अफजल प्रेमी गैंग देश विरोधी नारे लगाते हैं और देश के टुकड़े करने कि भी बात करते हैं। अभिव्यक्ति या फ्रीडम ऑफ स्पीच जरुरी तो है लेकिन किस हद तक? यह एक बड़ा सवाल है। यहां कुछ लोग फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर देश के प्रधानमंत्री तक को गाली देते हैं और कोई कुछ नहीं बोलता। अलबत्ता कुछ नेता इसका फायदा उठाने के लिए उनका सपोर्ट भी करते हैं। देश में ऐसा क्यों होने लगा है कि जब भी कोई देश के खिलाफ बोलता है सबसे पहले उसको कांग्रेस का साथ मिलता है? असल में कांग्रेस नीति ही हमेशा तुष्टिकरण रही है।

सैनिकों को पत्थर मारने वाले जिहादी हो जाते हैं निर्दोष युवक

कांग्रेस की मानसिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2014 से पहले राहुल गांधी हो, मनमोहन सिंह, चिदंबरम, कपिल सिब्बल जिस भी कांग्रेसी नेता पर जूते फेंके गए जूता उछालने वाला शख्स तुरंत जेल गया है, यानि नेता पर जूता उछालोगे तो जेल होगी। लेकिन कश्मीर में रोज हमारे सैनिको को पत्थर मारे जा रहे हैं और मोदी सरकार ने जब उसे रोकने के लिए कुछ कड़े कदम उठा लिये तो ये कश्मीरी जिहादी कांग्रेसियों के लिए निर्दोष युवक हो गयी। ये तो यहां तक कहते हैं कि सैनिकों को पत्थर मारना भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है।

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