आपके जान के हैरानी होगी पर अगर हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 500 और 1000 रुपए के नोट बंद ना करते तो आने वाले कुछ समय में हर चीज़ के दाम आसमान के पार चले जाते। सिर्फ यही नहीं, आतेंकवाद और नक्सलवाद पूरे भारत को अंदर ही अंदर खा जाता। सब कह रहे हैं की नरेंद्र मोदी ने यह ठीक नहीं किया पर अगर सोचा जाए की अगर मोदी साहब यह कदम न उठाते तो कभी न कभी किसी न किसी को तो यह कदम उठाना ही पड़ता। पहले ही इस काम में बहुत देरी हो चुकी थी, तो नोटबंदी करने का कदम सही है.
सोचने की बात यह भी है की अगर पहले की सरकारों में किसी ने यह बड़ा कदम उठाया होता तो आज हिंदुस्तान में आतंकवाद का नामोनिशान न होता। खैर कोई बात नहीं, क्योंकि अभी भी बहुत देर नहीं हुई है.
चलिए जानते हैं की नोटबंदी किन कारणों से हुई और इसका और क्या क्या फ़ायदा है.
1 ) हर 5 वर्ष बाद नोटों में फेरबदल करना एकदम सही – आपको जान के हैरानी होगी पर हर देश अपनी कागज़ी मुद्रा, नोट, में कुछ ना कुछ फेरबदल करते रहते हैं. यह बहुत ज़रूरी है. कभी यह देश सिक्योरिटी फीचर्स बदलते हैं और कभी कुछ और. भारत में एक बहुत समय से कुछ बदलाव नहीं किये गए थे. तो यह करना की अब बहुत आवशकता थी। 1000 के नोटों में तो सन् 2000 में कुछ बदलाव किये गए थे पर 500 के नोटों में तो सन् 1987 के बाद किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया था। अर्धशास्त्री कहते हैं की हर 5 वर्षों में मुद्रा में कुछ ना कुछ बदलाव ज़रूरी है, और नोट ही बदल देना अपनेआप में ही एक बहुत बड़ा बदलाव है। यह सराहनीय कदम है। अभी हमें कुछ तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है पर आने वाले वक़्त में यह देश के लिए बहुत अच्छा रहेगा।
2) 500 और 1000 के नोटों की भरमार – हिंदुस्तान में 500 और 1000 के नोटों की भरमार है। यह सच्चाई किसी से छुपी नहीं है। नोटबंदी होने से सबसे ज़्यादा दिक्कत जिन्हें हुई है वह हैं जाली नोटों की तस्करी करने वाले दलाल और दूसरे वह जो हवाला कारोबार करते हैं। सूत्रों के मुताबिक यह पता चला है की हमारे पडोसी देश पाकिस्तान ने भारत की अर्थव्यस्था को नुक्सान पहुँचाने के लिए 500 व 1000 के जाली नोट बनवाये थे। यह नोट पाकिस्तान की नोट बनाने वाली मिल में ही बने थे और मज़्ज़े की बात तो यह भी है की यह नोट उसी कागज़ पे बने जिनपे पाकिस्तान अपने खुद के नोट खापत है। यह ही नहीं। पाकिस्तान ने वही इंक का इस्तेमाल किया जिससे वह अपनी करेंसी छापता है। तो नोट बदलने से इसपे बहुत बड़ा असर पड़ेगा।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह पर अवैध हथियार और ड्रग्स की तरह ही पाकिस्तान में नकली नोट बनाने का कारोबार भी धड़ल्ले से इसलिए चलता है, क्योंकि इससे वह आतंकवादियों को आसानी से मदद कर सके।
3) जाली नोटों के अलावा कालाधन एक बहुत बड़ी समस्या था। कालेधन का अर्थ है- घोटाले, चोरी, सट्टा, किडनैपिंग, स्मगलिंग, पोचिंग, ड्रग्स, अवैध माइनिंग, जालसाजी, घोटाले, रिश्वतखोरी, इंकम टैक्स नहीं भरना और किसी भी तरह की हेराफेरी से जुटाया गया धन। इस धन का बहुत बड़ा हिस्सा जनता के काम आना चाहिए था लेकिन यह जमाखोरों के काम में लग गया। कालाधन देश के बाहर और देश के भीतर दोनों ओर बहुत बड़ी संख्या में मौजूद था, जो देश की अर्थव्यस्था को पंगु बना रहा था। इस धन के कारण बैंकों में धन की कमी होकर बैंकिंग सेक्टर लगभग मरणासन्न हो चला था। कालेधन के कारण चुनाव प्रक्रिया तो प्रभावित हो ही रही थी इससे व्यापार और रीयल स्टेट में भी बहुत सारी गड़बड़ियां होने के कारण एक ओर जहां महंगाई आसमान छू रही थी वहीं दूसरी ओर मकानों के दाम लोगों की पहुँच के बहार जाने लगे थे। कालाधन सरकार की आय में रुकावट पैदा करता है तथा देश के सीमित वित्तीय साधनों को अवांछित दिशाओं में मोड़ देता है। इसके अतिरिक्त कालेधन या समानांतर अर्थव्यवस्था की समस्या सामान्य समस्याओं से अलग प्रकार की समस्या है, क्योंकि जब हम सामान्य आर्थिक समस्याओं यथा गरीबी, मुद्रास्फीति या बेरोजगारी के संबंध में विचार करते हैं तब हमारा ध्यान निर्धन तथा बेरोजगार आदि के समूह पर केंद्रित हो जाता है।
मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले इस कालेधन के खिलाफ मुहिम चलाई थी। पहले विदेशी बैंकों में रखे गए कालेधन को वापस लाने के लिए एक एसआईटी का गठन किया जिसने यह पता लगाया कि किसी का कितना और कहां रखा है। इस मुहिम के बाद देश में कई माध्यमों से दबाए गए कालेधन को सरेंडर करने के लिए सरकार ने लोगों को 3 अवसर दिए। कुछ ने सरेंडर किए लेकिन बहुतों ने नहीं किए। इस बीच सरकार ने पूरे देश में इंकम टैक्स के छापे डलवाकर कालाधन निकाला। अंत में नोटबंदी की गई।
4) हिनुस्तान में पाकिस्तान से भेजे गए जाली नोटों की संख्या इतनी ज़्यादा बढ़ गयी थी के बैंक और ATM से भी नकली नोट निकलने लगे। इसका कारण यह भी रहा की यह नोट दिखने में इतनी असली लगते थे की उन्हें पहचान पाना लगभग नामुमकिन सा ही होगा था। इस वजह से नोटबंदी करना और ज़्यादा ज़रूरी हो गया था। यह भी एक बड़ा कारण बना नोटबंदी का।
5) भारतीय करेंसी की साख भी लगातार गिर रही थी। इसको बचाने की बहुत बड़ी आवश्यकता थी और यह एक बड़ा कारण बना नोटबंदी का। हिंदुस्तान में ज़्यादातर नोट 500 और 1000 के हैं। कुछ लोग अपने निजी फायदे को देख कर कालाबाज़ारी करते थे। नोटबंदी होने से सबसे बड़ा तमाचा इन्ही लोगों पे पड़ा। बैंकों से नोट ज़्यादा जा रहे थे और इस वजह से ज़्यादा नोट छापने पड़ रहे थे। इसकी वजह से करेंसी की कीमत और कम हो रही थी। नोटबंदी से इसपे बहुत असर पड़ेगा।
यह हैं कुछ कारण जो भारत की तरक्की में बहुत लाभदायक बनेंगे। जय हिन्द।