एक समय कि बात है एक गाँव में एक ब्राह्मण और वैश्या एक दूसरे के पड़ोस में रहते थे। ब्राह्मण पूरा दिन भगवान कि पूजा पाठ में लगा रहता था। वह सारा दिन अनंत कर्मकांड करने के लिए प्रसिद्ध था। परन्तु उसके मन में स्वयं को महान संत समझने का घमंड था। वह हमेशा भक्तों को त्याग और समर्पण का उपदेश देता था।
जबकि वेश्या अपना जीवन यापन करने के लिए नाचती थी।
एक दिन ब्राह्मण ने सोचा कि वह वैश्या को उपदेश देगा। इसी उद्देश्य से वह उसके घर गया। ब्राह्मण ने वैश्या को कहा कि तुम एक पापिन हो और तुम्हारे पाप कर्मों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इन पाप कर्मों के कारण मृत्यु के पश्चात एक भयंकर परिणाम तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं।
जब वैश्या ने ब्राह्मण की यह बात सुनी तो वह पूरे मन से प्रायश्चित करने लगी। परन्तु जीवन यापन करने के लिए उसने वेश्यावृति जारी रखी। इस दौरान उसने एक क्षण भी ईश्वर से क्षमा याचना और विनती करना नहीं छोड़ा।
ब्राह्मण और वैश्या की मृत्यु एक ही दिन हुई। यमदूत वैश्या को स्वर्ग की ओर ले गये। जबकि यमदूत ब्राह्मण को लेकर नर्क कि ओर जाने लगे।
ब्राह्मण चिल्लाने लगा कि अवश्य तुमसे कोई भूल हुई है। मैने पवित्र जीवन जिया है। मैं नर्क में क्यों जाऊंगा? जबकि पाप का जीवन जीने वाली यह स्त्री स्वर्ग जा रही है।
यमदूत ने कहा कि वह स्त्री पाप कर्म करते हुए भी सदा ईश्वर के बारे में सोचती रहती थी। इसके विपरीत तुम हमेशा पूजा पाठ किया करते थे। परन्तु तुम्हारा मन सदा तुम्हारी पड़ोसन के पाप कर्म पर लगा रहता था। इसलिए तुम अब वहां जा रहे हो, जहां पापी पाए जाते हैं। हम क्या बनेंगे, इसका निर्धारण हमारे कर्मों से नहीं, बल्कि हमारे विचारों से होता है।