शनि देव, सूर्य देव तथा देवी छाया के पुत्र हैं। शनि देव के कहर से हम सब डरते हैं। शनि देव के अशांत होने से हमारे जीवन में कष्ट आने आरम्भ हो जाते हैं। शनि को क्रूर दृष्टि का गृह माना जाता है। परन्तु उनकी क्रूर दृष्टि के पीछे का सच कुछ लोग ही जानते है। आइए जानते हैं शनि देव की क्रूर दृष्टि से जुड़ी कथा के बारे में।
ब्रह्मपुराण के अनुसार शनि देव बचपन से ही श्री कृष्ण के भक्त थे। जब शनि देव बड़े हुए, तब इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया। शनि देव की पत्नी परम तेजस्विनी थी।
शनि देव ज्यादातर श्री कृष्ण के ध्यान में मग्न रहते थे। एक बार शनि देव हमेशा की तरह श्री कृष्ण के ध्यान में मग्न थे। उस समय उनकी पत्नी पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से इनके पास पहुंची। परन्तु शनि देव को ध्यान में मग्न होने के कारण कुछ पता नही चला। उनकी पत्नी प्रतीक्षा करते हुए थक गईं और अत्यंत क्रोधित हो गयी। क्रोध में आकर उन्होंने शनि देव को श्राप दे दिया कि आज से आप जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा।
परन्तु बाद में शनि देव की पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ। परन्तु अब श्राप वापिस नही लिया जा सकता था।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर शनि रोहिणी-शकट भेदन कर दें तो पृथ्वी पर 12 वर्ष का अकाल पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो किसी भी प्राणी का बचना मुश्किल है।