हमारे जीवन का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु। हम सब के मन में अक्सर यह प्रश्न जरूर उठता है कि मृत्यु के बाद क्या होता है? शास्त्रों में इसका उत्तर हमें आसानी से मिल जाता है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नर्क में जाता है। सद्कर्मों के फलस्वरूप आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है जबकि बुरे कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा को नर्क में भेजा जाता है। नर्क के नाम से हर मनुष्य डरता है क्योंकि कहा जाता है कि नर्क में आत्मा को बहुत कष्ट सहने पड़ते हैं। इसलिए हर कोई मृत्यु के बाद नर्क जाने से बचना चाहता है।
पुराणों में बताया गया है कि अगर हमारे पास इन चीजों में से कोई एक भी चीज है तो यमदूत हमें नर्क नही ले जाते।
तुलसी
पुराणों में तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिया कहा गया है। यह भगवान विष्णु के सिर पर शोभा पाती है। तुलसी का पत्ता मृत्यु के समय सिर के पास हो तो यमदूत का भय नही रहता। तुलसी के पास होने से मुक्ति की राह आसान हो जाती है।
भगवद गीता का पाठ
मृत्यु के समय गीता का पाठ सुनाने से आत्मा आसानी से शरीर त्याग देती है। गीता का पाठ सुनाने से आत्मा का शरीर से मोह दूर होता है तथा आत्मा को शरीर से अलग होने में कोई कष्ट नही होता।
गंगाजल
गंगाजल को पवित्र माना जाता है। मृत्यु के समय मुख में गंगाजल होने से मनुष्य का मन शुद्ध तथा पवित्र हो जाता है। पुराणों में कहा गया है कि शुद्ध और पवित्र मन से प्राण त्यागने पर कष्ट नहीं भोगना पड़ता है और यमराज के कठोर दंड से भी बचा जा सकता है।
रामायण का पाठ
रामायण भगवान विष्णु के रामावतार की कथा है। यह मृत्यु के समय होने वाले कष्ट को खत्म कर देती है। हिन्दू पुराणों के अनुसार मृत्यु के समय मनुष्य जिस विषय को सोचता है मृत्यु के बाद उसकी वैसी ही गति होती है। इसलिए मृत्यु के समय धर्म ग्रन्थ सुनते हुए प्राण त्यागने पर नर्क का कष्ट नही भोगना पड़ता। क्योंकि मनुष्य का मन अपने ईश्वर की ओर लगा रहता है।