सभी लोग उन्हें योग का ‘रॉकस्टार’ कहते हैं लेकिन वो खुद को केवल ‘कीर्तनवाला’ ही कहलाना पसंद करते हैं। 2013 में ग्रैमी अवार्ड के लिए नामित जाप गुरु कृष्णा दास अभी अपने एलबमों, कांसर्ट, वर्कशॉप, फिल्म प्रोजेक्ट, रेडियो चैनल और अन्य प्रयासों में काफी व्यस्त हैं लेकिन वह पूछे गये कुछ सवालों के जवाब देने के लिए राजी हो गये।
जेफ केगेल से केडी और एक रॉक बैंड से कीर्तन का एक रॉक स्टार बनना, निश्चित रूप से यह चयन कठिन रहा होगा?
यह चयन बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था। मैं अपने जीवन से काफी नाखुश था। मैंने राम दास से नीम करोली बाबा के बारे में सुना। राम दास भारत में अपनी पहली यात्रा समाप्त कर अभी वापस लौटे ही थे, जहां मैं महाराज जी से मिला। जब मेरे दिल को यह नई राह मिली, तो भारत आने और अपने गुरु के साथ रहने के अलावा अब किसी भी काम में मेरी रुचि नहीं बची थी।
अपने गुरु राम दास के बारे में कुछ बताएं। वह किस प्रकार महाराज जी के संपर्क में आयें?
राम दास मेरे बड़े गुरु भाई हैं। नीम करोली बाबा हमारे गुरु हैं।
राम दास नीम करोली से 1967 में कुमाऊं की पहाड़ी में स्थित एक छोटे से मंदिर में मिले थे और उसी क्षण उनका संपूर्ण जीवन परावर्तित हो गया। मैं उनसे 1967 में मिला जब वो अमेरीका वापस लौटे थे। कई वर्षों तक उनके साथ यात्रा करने के बाद मैं नीम करोली बाबा के साथ रहने भारत चला आया। मार्च 1973 को उन्होंने मुझे वापस अमेरीका भेज दिया।
अपने जीवन में एक गुरु या एक शिक्षक के होने पर कैसा महसूस होता है?
गुरु आपके दिव्य आत्मा का आईना होते हैं। गुरु दूसरों के प्रति आपके जीवन में प्रेम जगाते हैं और यह प्रेम पहले से ही आपमें नीहित होता है। एक गुरु के बिना किसी के लिए जीवन में कुछ भी अर्थपूर्ण तलाश पाना और उसका अनुभव करना असंभव है।
आपने भगवान तक अपनी राह बनाने के लिए कीर्तन को किस प्रकार चुना?
मैं भारत पहुंचा ही था और मैं नैनीताल की पहाड़ियों पर था। वहां से महाराज जी का मंदिर लगभग 45 मिनट की दूरी पर था। हम उनसे मिलने तभी जाते थे जब वह आने की अनुमति देते थे। एक दिन मैं झील के आस-पास टहल रहा था और फिर मैं नैनी देवी के मंदिर जो मां दुर्गा का एक पवित्र प्राचीन मंदिर है, के पास से गुजरा। मुझे अंदर से अदभुत जापों की आवाज सुनाई दी। मैं आगे जा न सका और वहीं रुक गया। फिर एक आदमी जो उसी मंदिर के अंदर जा रहा था, अपने साथ खींचता हुआ मुझे अंदर ले गया। मैं अंदर का नजारा देखकर पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया था। बाद में मुझे पता चला कि आज मंगलवार है और वो सब मिलकर हनुमान चलीसा गा रहे थे। यह मेरे लिए सबसे अधिक शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण जप अभ्यास था।
मनुष्य किस प्रकार खुशियों से भरा, शांतिपूर्ण और आत्म-स्वीकृति वाला जीवन जी सकता है?
हमें एक अच्छा इंसान बनना चाहिए और अपनी खुशियों के अलावा दूसरों की खुशियों के बारे में भी सोचना चाहिए। अगर हम लोगों से वैसा ही व्यवहार करें जैसा हम खुद के प्रति चाहते हैं, तो यह दुनिया एक अलग ही जगह होगी। लेकिन डर और स्वार्थ पर विजय पाना आसान नहीं होता है। केवल आध्यात्मिक अभ्यासों के द्वारा ही हम एक अच्छे इंसान बन सकते हैं।
संगीत और मंत्र जाप किस प्रकार हमें प्रभु के करीब लाता है?
बच्चा जब बीमार होता है तो हम उसे दवा देते हैं। हम उस कड़वी दवा को मीठे सिरप में छिपा देते हैं ताकि बच्चा बिना ना-नुकुर किये उस दवा को ले ले और जल्दी से ठीक हो जाये। उसी प्रकार संगीत सिरप के समान होता है और भगवान के नाम दवा के समान। जब हम जाप करते हैं तो संगीत हमें ध्यान लगाने में मदद करता है लेकिन यही वो नाम हैं जो हमें दुखों से बचाता है।
क्या आप हमसे अपने गुरु की सीख साझा कर सकते हैं, जो आपके जीवन का मूलमंत्र भी है?
वह हमेशा कहते हैं, “हर किसी को प्यार करो, खाना खिलाओ और प्रभु को याद रखो। राम नाम करने से सबकुछ पूरा हो जाता है।”
अपने उस गुरु के बारे में कुछ बतायें जिन्होंने आपको जीवन की यह अर्थपूर्ण सीख दी है?
वह हम सबसे एक समान व्यवहार करते हैं। उनकी नजर में कोई बड़ा या छोटा नहीं है। कोई भी यह नहीं कह सकता कि वह बाकी दूसरों से ज्यादा उनके करीब है। वह कहते हैं, “संपूर्ण संसार मेरा परिवार है। भगवान की नजर में सभी बराबर है।”
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