आपने अक्सर देखा होगा कि हिन्दू धर्म में लोग रुद्राक्ष तथा तुलसी की माला पहनना शुभ मानते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि इन मालयों को क्यों पहना जाता है। इन मालयों को पहनने के पीछे धार्मिक कारण होने के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं रुद्राक्ष और तुलसी की माला क्यों पहनी जाती है।
रुद्राक्ष की माला धारण करने की धार्मिक मान्यता
माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की आँखों से गिरे आंसू से हुई थी।
इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
यह भगवान शिव का वरदान है जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार 26 दानो की रुद्राक्ष की माला सिर पर 50 की गले में, 16 की बाहों में और 12 की माला मणिबंध में पहनी जाती है।
यदि हम 108 दानो की माला पहने तो हमें अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
पद्म पुराण, शिवमहापुराण आदि शास्त्रों की मान्यता है कि इसे पहनने वाले व्यक्ति को शिव लोक की प्राप्ति होती है।
शिव पुराण में रुद्राक्ष के बारे में कहा गया है कि
यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्ष: फलद: शुभ:।
न तथा दृश्यन्ते अन्या च मालिका परमेश्वरि।।
अर्थात संसार में रुद्राक्ष की माला जैसा शुभ फल देने वाली कोई और माला नही है।
भगवद गीता में भी रुद्राक्ष की माला का उल्लेख मिलता है।
रुद्राक्ष धारणच्च श्रेष्ठ न किचदपि विद्यते।
विश्व में रुद्राक्ष धारण से बढ़कर कोई दूसरी चीज नहीं है। रुद्राक्ष की माला श्रद्धा से पहनने वाले इंसान की आध्यात्मिक तरक्की होती है। सांसारिक बाधाओं और दुखों से छुटकारा मिलता है।
तुलसी की माला धारण करने की धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि तलसी की माला धारण करने से यश, कीर्ति और सौभाग्य बढ़ता है।
हिन्दू ग्रन्थ शालिग्राम पुराण में कहा गया है कि तुलसी की माला खाना खाते समय शरीर पर होने से अनेक यज्ञों का पुण्य मिलता है।
यह माला पहनने से मान सम्मान में वृद्धि होती है।
तुलसी की माला धारण करने से साकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
यह माला धारण करने वाले में आकर्षण और वशीकरण शक्ति आती है।
माना जाता है कि तुलसी की माला में इतनी शक्ति है कि इसे धारण करने वाले को कभी संक्रामक बीमारी नही होती और वह अकाल मौत से भी बचता है।
जो भी कोई तुलसी की माला पहन कर नहाता है, उसे सारी नदियों में नहाने का पुण्य मिलता है।
रुद्राक्ष और तुलसी की माला धारण करने के वैज्ञानिक कारण
रुद्राक्ष तथा तुलसी की माला में औषधियों के गुण पाए जाते हैं।
वैज्ञानिक मान्यता यह है कि होंठ और जीभ का उपयोग कर मंत्र जप करने से गले की धमनियों को सामान्य से ज्यादा काम करना पड़ता है। इसके कारण कंठमाला, गलगंड आदि रोगों के होने की आशंका होती है। इनसे बचाव के लिए गले में रुद्राक्ष व तुलसी की माला पहनी जाती है।
इन्हें धारण करने से ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता है।
यह माला धारण करने से मानसिक शांति मिलती है।
रुद्राक्ष तथा तुलसी की माला धारण करने से गर्मी और ठंड से होने वाले रोग दूर होते हैं।
तुलसी की माला बुखार, जुकाम, सिरदर्द तथा चमड़ी के रोगों के लिए बहुत लाभकारी है।