क्या आप जानते है रुद्राक्ष की उत्तपत्ति कैसे हुई और ये कितने प्रकार की है ?

पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्तपति से जुड़ी कथा कुछ इस प्रकार है- प्रजापति दक्ष की पुत्री का विवाह शिव के साथ हुआ था परन्तु दक्ष शिव जी से प्रसन्न नहीं थे| उस समय की बात है सती के पिता द्वारा विशाल यज्ञ में सती और शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया| शिव जी के मना करने के बाद भी सती यज्ञ में गई और अपने पिता से शिव जी को न बुलाने का कारण पूछने लगी| दक्ष प्रजापति ने शिव जी के लिए अपशब्द बोलें और उनका अपमान किया, यह सब सुन कर सती क्रोध में आ गई और यज्ञ की अग्नि भस्म हो गई|

शिव जी को यह बात पता चलने पर वे बहुत क्रोधित हुए और सती का मृतक शरीर को उठा कर तांडव करने लगें और समस्त ब्रह्माण्ड में भ्रमण करने लगें| तब भगवान शिव को रोकने के लिए विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 51 टुकड़े किए|

सती से अलग होने के दुख के कारण शिवजी के नेत्रों से आंसू निकल आए जो अनेक स्थानों पर गिरे| जहां जहां उनके अश्रु गिरे वहां वहां रुद्राक्ष के वृष की उत्तपत्ति हुई| इसलिए भगवान शिव को अति प्रिय है रुद्राक्ष|

आइए जानते है रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार:

रुद्राक्ष कुल 14 प्रकार की होती है-

  • एक मुखी रुद्राक्ष इसे साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है, यह किस्मत वालों को ही मिलता है और जो इसे धारण करता है वह शिव की भक्ति में मग्न हो जाता है|
  • दो मुखी रुद्राक्ष कभी कभी आपको दो रुद्राक्ष जुड़े हुए नज़र आते है, वह शंकर और देवी पार्वती का रूप है, इसका उपयोग करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है|
  • तीन मुखी रुद्राक्ष ऐश्वर्या प्राप्ति दिलाने वाला रुद्राक्ष है| यह अग्नि का स्वरुप है, इसे धारण करने से ब्रह्मा हत्या के पाप का नष्ट होता है|
  • चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा शक्ति का रूप है इसे पहनने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है और यह अनेक देवताओं को प्रसन्न करने में सहायक है|
  • पंच मुखी रुद्राक्ष को परमपिता परमेश्वर का रूप माना जाता है|
  • छह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के बड़े बेटे कार्तिकेय का प्रतीक है, इन्हे ज्ञानी और बुद्दिमानी का भगवान माना जाता है| इसी कारणवश इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति विद्वान बनता है|
  • सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति मिलती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है| यह सप्त ऋषि का प्रतीक है जो की ब्रह्माण्ड के सात प्रमुख ऋषि है|
  • आठ मुखी रुद्राक्ष को गणेश जी का रूप माना जाता है| यह ऋद्धि सिद्धि और लक्ष्मी की प्राप्ति में सहायक होता है|
  • नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का रूप कहा जाता है| इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या के दोषियों को मुक्ति मिलती है|
  • दश मुखी रुद्राक्ष विष्णु जी का स्वरुप माना जाता है, इसे धारण करने से शत्रु के मारने का भय समाप्त होता है और कार्य में सीधी मिलती है|
  • ग्यारह मुख रुद्राक्ष रूद्र देवता शिव का ही स्वरुप कहा जाता है, वे एकादस रूद्र देव सदैव सौभाग्य ,संवर्धन करने वाले होते हैं|
  • बारह मुख वाला रुद्राक्ष धारण करने से हर प्रकार का रोग दूर होता है, यह सूर्य भगवान का रूप है|
  • तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति की मनोकामनाएं और सिद्धयों की प्राप्ति का एक मूल मात्रा है| इससे काम देव की कृपा प्राप्त होती है|
  • चौदह मुखी रुद्राक्ष सिर पर धारण करने वाला साक्षात शिव रूप होता है|

विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को अनेक लाभ की प्राप्ति होती है|

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