रामेश्वरम मंदिर का इतिहास

हर हिन्दू अपने जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा करने का अवश्य सोचता है ताकि उसकी जीवन यात्रा सफल हो जाए| चार धाम की यात्रा सबसे पहले पूर्व में जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती हुई दक्षिण में स्थित रामेश्वरम मंदिर से पश्चिम में द्वारकाधीश मंदिर से हो कर उत्तर में बद्रीनाथ तीर्थ पर खत्म होती है|

आइये जानते हैं दक्षिण में स्थित रामेश्वर धाम के बारे में:-

रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है जो तमिल नाडु स्थित रामनाथपुरम जिले में है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है, जिसका अर्थ है ‘भगवान राम’। यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व एक पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिसपर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची और वहां विजय प्राप्त की। बाद में श्रीराम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुष्कोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था। आज भी इस 30 मील लंबे सेतु के तथ्य सागर में दिखाई देते हैं|

रामायण के अनुसार श्री राम ने ब्राह्मण रावण का वध किया था और फिर इसी जगह तपस्या की थी ताकि उनसे युद्ध में हुए सभी पापों का प्रायश्चित हो पाए| पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि ऋषियों के कहने पर श्री राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ शिवलिंग की पूजा की थी|

शिव जी आराधना करने के लिए श्री राम ने सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना का कार्य हनुमान जी को सौंपा, जिसके लिए वे हिमालय की ओर निकल पड़े| उस शिवलिंग को आते वक़्त लगता इसीलिए माता सीता ने एक छोटे शिवलिंग का निर्माण किया| इस प्रसंग का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता परन्तु यह तुलसी दास लिखित रामायण  मौजूद है|

रामेश्वरम से दक्षिण में कन्याकुमारी एक प्रसिद्ध तीर्थ है| बंगाल की कड़ी यही पर हिन्द महासागर से मिलती है| रामेश्वरम और सेतु बहुत प्राचीन है परन्तु रामनाथ मंदिर केवल लगभग 800 वर्ष पुराना है| इसके कुछ भाग तो 50-60 साल पहले ही बने हैं| मंदिर में विशालाक्षी जी के गर्भ-ग्रह के निकट ही नौ ज्योतिर्लिंगों हैं, जो लंकापति विभीषण ने स्थापित कराए थे|

श्री रामेश्वर मंदिर 1000 फुट लम्बा, 650 फुट चौड़ा तथा 150 फुट ऊँचा है| इस मंदिर के प्रधान रूप से भी कुछ अधिक शिव जी की लिंग मूर्ति स्थापित है| मंदिर में कई सुंदर-सुंदर शिव जी की प्रतिमाएं है| उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगाजल लाकर श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है|

24 कुंड 

श्री रामेश्वर मंदिर के अंदर 24 कुँओं का निर्माण कराया गया है, जिन्हे तीर्थ कहा जाता है| मंदिर के बाहर कई कुँए और भी है परन्तु उनका पानी खारा है| परन्तु मंदिर के अंदर के कुँओं का जल मीठा है| ऐसा माना जाता है कि यह कुँए भगवान राम के अमोघ बाणों से तैयार किए गए थे| उन्होंने अनेक तीर्थो से जल मंगा क्र इनमें छोड़ा था, तभी इन्हे तीर्थ कहा जाता है| उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं- गंगा, यमुना, गया, शंख, चक्र आदि|

अन्य दर्शनीय स्थल 

  • साक्षी विनायक
  • सीताकुंड
  • एकांतराम मंदिर
  • अम्मन देवी मंदिर
  • आदि सेतु
  • नंदिकेश्वर
  • विभीषण तीर्थ
  • माधव कुंड
  • हनुमान कुंड
  • रामतीर्थ
  • अमृतवाटिका
Previous Article

मनोकामनाएं पूरी करने के लिए रखे नवरात्रें

Next Article

हिन्दू धर्म के कुछ प्राण-घातक अस्त्र

Write a Comment

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *