श्री कृष्ण द्वारा की गयी लीलाओं को हर कोई सुनना पसंद करता है| श्री कृष्ण की लीलाओं की बात करें तो उनमें राधा जी का जिक्र भी अवश्य होगा| राधा जी तथा श्री कृष्ण में अटूट प्रेम था| आइए देखें भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा की लीलाओं को और जानें कहां – कहां कैसे मिले थे राधा कृष्ण|
भंडीर वन
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भंडीर वन में श्री कृष्ण तथा राधा जी की पहली अलौकिक भेंट हुई थी| एक बार वासुदेव जी श्री कृष्ण को साथ लेकर कहीं जा रहे थे| उस समय श्री कृष्ण बहुत छोटे थे और वासुदेव जी की गोद में थे| रास्ते में उन्हें भंडीर वन से गुजरना पड़ा| जब वे वन में से गुजर रहे थे तब देवी राधा वहां प्रकट हुई और ब्रह्मा जी को पुरोहित बनाकर उन्होंने श्री कृष्ण से विवाह कर लिया| इस घटना का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी किया गया है|
निधिवन
निधिवन वृंदावन में यमुना तट पर स्थित है| माना जाता है कि निधिवन में जितने भी पेड़ हैं सभी गोपियां हैं और यह पेड़ रात के समय गोपियों का रूप लेकर रास लीला करते हैं| क्योंकि यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक पूर्णिमा की उज्जवल चांदनी में रास का आयोजन किया था|
कृष्ण जन्मोत्सव
एक पौराणिक कथा के अनुसार श्री कृष्ण तथा राधा जी विवाह से पूर्व लौकिक रूप में मिल चुके थे| जब नंदगांव में श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जा रहा था| उस समय राधा जी अपनी माता कीर्ति के साथ श्री कृष्ण के जन्मोत्स्व में शामिल होने आयी थी| उस समय बालक श्री कृष्ण एक दिन के और देवी राधा ग्यारह माह की थी| श्री कृष्ण पालने में झूला झूल रहे थे और राधा जी अपनी माता की गोद में थी| इस तरह बचपन में दोनों की पहली लौकिक मुलाकात हुई|
संकेत गाँव
यह वह स्थान है जहां राधा जी तथा श्री कृष्ण का लौकिक प्रेम शुरू हुआ था| राधा जी का जन्म बरसाना गाँव में हुआ था| बरसाना नंदगांव से चार मील की दूरी पर बसा है| इन दोनों गांव के बीच में एक गाँव आता है जो कि संकेत के नाम से जाना जाता है| कहते हैं लौकिक जगत में श्री कृष्ण और राधा की पहली मुलाकात यहीं पर हुई थी| इसलिए यह स्थान राधा कृष्ण के भक्तों के लिए बहुत ही खास माना जाता है|
मानगढ़
यह है बरसाने का मानगढ़| कहते हैं यहां पर राधा जी एक बार ऐसा रुठी की श्री कृष्ण के राधा जी को मनाने के सारे जतन बेकार गए| अंत में श्री कृष्ण ने सखियों की मदद से रुठी राधा को मनाया| इसलिए इस स्थान को मानगढ़ के नाम से जाना जाता है|
मोर कुटी
मोर कुटी बरसाने के पास स्थित एक छोटा सा स्थान है| माना जाता ही कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने राधा के कहने पर मोर के साथ नृत्य प्रतियोगिता की थी|
गहवर वन
गहवर वन को राधा जी ने स्वयं अपने हाथों से सजाया था| इस स्थान पर श्री कृष्ण तथा राधा जी मिला करते थे| माना जाता है कि यह वन भगवान श्री कृष्ण को सबसे अधिक प्रिय था|
विहार कुंड
विहार कुंड को कुमुदनी कुंड भी कहा जाता है कहते हैं कि गाय चराते हुए यहां पर श्री कृष्ण और राधा मिला करते थे| इस कुंड में सखा और सखियों की नजरों से छुपकर राधा कृष्ण जल क्रीड़ा भी किया करते थे| कृष्ण जब तक नंदगांव में रहे तब तक राधा कृष्ण की मुलाकात होती रही और इनके कई मिलन स्थल रहे। लेकिन नंदगांव से जाने के बाद श्री कृष्ण और राधा का मिलन बस बए बार हुआ आइये वह भी देख लें, कहां?
कुरुक्षेत्र
नंदगांव से जब श्री कृष्ण मथुरा आए तो उस समय उन्होंने राधा जी को वचन दिया कि अब उनकी मुलाकात कुरुक्षेत्र में होगी| सूर्यग्रहण के मौके पर देवी राधा और मां यशोदा कुरुक्षेत्र में स्नान के लिए आई थी| उस समय राधा और कृष्ण फिर से मिले थे| यहां इस बात का गवाह एक तमाल का वृक्ष है|