धर्म ग्रंथों के अनुसार, जहां महिलाओं की पूजा होती है, वहां देवी-देवताओं का वास होता है। वास्तु के अनुसार, महिलाएं घर में मौजूद एनर्जी का मूल स्रोत होती हैं और अगर वास्तु शास्त्र के कुछ नियमों और बातों का पालन करें तो घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
घर को हमेशा साफ़ और स्वच्छ रखना चाहिए। एक साफसुथरा घर अपनेआप ही पॉजिटिव एनर्जी एवम अच्छी किस्मत को आकर्षित करता है। घर का एक छोटा सा भी गन्दा हिस्सा घर में रहने वाले हर इंसान को दुर्भाग्य के करीब लाता है।
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जब भी महिलाएं घर में सफाई करें वह इस बात का ख़ास धयान रखें की सफाई के तुरंत बाद वह स्नान करें। वास्तु के हिसाब से सफाई के बाद भी किसी प्रकार की अस्वच्छता रखना गलत है। अपना शरीर भी अगर ज़रा सा भी गन्दा है तो बीमारियां तथा नेगेटिविटी आकर्षित होती हैं।
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खाना बनाने से पहले यह धयान रखें की आपने स्नान किया हुआ हो। नहाने के बाद बनाया गया भोजन घर में अच्छी सेहत और पॉजिटिविटी को बढ़ता है।
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जब भोजन पक जाए तो घर परिवार में किसी के भी खाने से पहले भगवान् को भोज लगाना चाहिए। घर के मंदिर में पहले भोज की थाली रखें और फिर उस भोजन को सारे खाने में मिलकर घर के सदस्यों को परोसें।
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कुछ महिलाएं सूर्यास्त के समय कंघा करती है। परन्तु इस समय कंघा करना शुभ नहीं माना जाता। कहा जाता है कि ऐसा करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
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घर में नेगेटिव एनर्जी का एक कारण बार बार गुस्सा करना है। महिलायों का बात बात पर गुस्सा करना तथा चिचिड़ापन घर में अशांति तथा दुर्भाग्य फैलता है।
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कभी भी पानी के स्त्रोत को घर के दक्षिण-पश्चिमी कोने में नही रखना चाहिए। यदि ऐसा है तो धनहानि होने की सम्भावना बढ़ जाती है। पानी का स्त्रोत घर के उत्तर-पूर्वी कोने में होना चाहिए।
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वैसे तो पूरे घर को साफ़ सुथरा रखना चाहिए। परन्तु वास्तु के अनुसार घर का उत्तर-पूर्वी हिस्सा बहुत पवित्र माना जाता है। इसलिए इस हिस्से को हमेशा साफ़ रखें तथा ध्यान रखें की इस हिस्से में रोशनी रहे।
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जब भी हम घर में मंदिर बनाने की सोचें तो हमें घर के बीच के हिस्से को चुनना चाहिए। क्योंकि घर के इस हिस्से को बहुत पवित्र माना जाता है। इस हिस्से में सफाई तथा रोशनी का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।