जानिये उस जगह के बारे में जहाँ राधा कृष्ण के दर्शन करने से मनुष्य हो जाता है विकलांग

भारत देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है यहाँ देवता अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से जाने जाते हैं| भगवान श्री कृष्ण के नाम क्रमशः कान्हा, मुरलीवाला, माखनचोर इत्यादि तो सभी जानते हैं| परन्तु शायद ही आपको पता हो की गुजरात के द्वारकाधीश को दक्षिण भारत में वेंकटेश या गोविंदा कह कर पुकारा जाता है|

वहीँ भगवान श्री कृष्ण बंगाल में गोपाल के नाम से जाने जाते है उत्तर प्रदेश में उन्हें कई नामों से जाना जाता है जिसमे वृन्दावन बिहारी और श्याम प्रमुख हैं| भगवान श्री कृष्ण की कई लीलाओं का वर्णन वहां के लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं|

लेकिन कुछ लीलाएं ऐसी भी है जिसे यूँ तो जल्दी कोई देख नहीं पाता और अगर किसी ने भूल से देख भी लिया तो वो किसी को बताने के काबिल नहीं रहा| जी हाँ हम बात कर रहें हैं वृन्दावन में स्थित निधिवन की इस जगह के बारे में मशहूर है की कान्हा आज भी रात को यहाँ गोपियों संग रास रचाते हैं|

निधिवन के बारे में यहाँ के लोग दबी जुबान में ही बात करते हैं कहा जाता है की प्रभु श्री कृष्ण देवी राधा एवं गोपियों संग अर्धरात्रि के बाद यहाँ रास रचाते हैं उसके बाद इसी परिसर में स्थित रंग महल में विश्राम करते हैं|

रंग महल में आज भी उनके विश्राम के लिए प्रतिदिन पलंग लगाया जाता है साथ ही साफ़ सुथरा बिस्तर भी बिछाया जाता है| यहाँ प्रतिदिन माखन और मिश्री का भोग भी लगता है ताकि रास के बाद राधा कृष्ण भूखे न सोयें| इस जगह की एक विशेषता यह भी है की यहाँ मौजूद सभी वृक्ष एक ही कद काठी के है| उनकी डाली नीचे की ओर झुकी हुई है और हर वृक्ष एक दुसरे से जुड़ा हुआ है ऐसा प्रतीत होता है की ये एक दुसरे का हाँथ थामे हुए हैं|

कहा जाता है की रात होते ही ये सारे वृक्ष गोपियाँ बन जाते हैं और रास रचाते हैं तथा सुबह होते ही वापस वृक्ष बन जाते हैं| यहाँ की मिटटी रेतीली और सुखी हुई है फिर भी कोई भी पेड़ नहीं सूखता यहाँ के वृक्ष अन्दर से खोखले हैं फिर भी आंधी या तूफ़ान में नहीं गिरते|

यहाँ बंदरों का विशाल समूह सारे दिन दिखता है परन्तु अँधेरा होते ही यहाँ कोई भी बन्दर या पक्षी नहीं रूकता| सुबह जब सेवादार रंग महल पहुँचते हैं तो वहाँ रखे प्रसाद को देखते ही पता चल जाता है की किसी ने अवश्य ही प्रसाद ग्रहण किया है साथ ही वहां लगे बिस्तर पर विश्राम भी किया है|

कहा जाता है की जिस ने भी रास को देख लिया वो किसी को कुछ बताने के लायक नहीं रहा। या तो वो गूंगा बहरा हो गया या फिर उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गयी| खैर सच्चाई जो भी हो यह तो हम सभी मानते हैं की वृन्दावन के कण कण में कान्हा का वास है इस बात को मानने के लिए इतना ही काफी है|

Previous Article

श्री कृष्णा चालीसा

Next Article

रावण के यह सपने बदल सकते थे दुनिया

Write a Comment

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *