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आज के समय में यदि कोई हमें नागमणि के बारे में बताए तो हम यकीन नहीं करेंगें| परन्तु पौराणिक कथाओं में नागमणि के होने का उल्लेख मिलता है| हमारे धार्मिक ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत में भी नागमणि का जिक्र किया गया है| मणि अपने आप में ही एक रहस्य है|
कहते हैं जिसके पास मणि होती है वह बहुत बशक्तिशाली हो जाता है| यह एक तरह का चमकता हुआ पत्थर होता है| रामायण में उल्लेख आता है कि रावण ने कुबेर से चंद्रकांत नाम की मणि छीन ली थी तथा महाभारत में भी मणि के बारे में उल्लेख मिलता है कि अश्वत्थामा के पास मणि थी| जिसके बल पर वह शक्तिशाली और अमर हो गया था|
मान्यता है कि चिंतामणि नाम की मणि को स्वयं ब्रह्माजी धारण करते हैं| कौस्तुभ मणि को भगवान विष्णु धारण करते हैं तथा रुद्रमणि को भगवान शंकर धारण करते हैं| लेकिन क्या वास्तव में नागों के पास कोई मणि होती भी है या यह सिर्फ हमारी कल्पना मात्र है|
ज्योतिष शास्त्र के एक प्रमुख ग्रंथ वृहत्ससंहिता के अनुसार संसार में मणिधारी नाग मौजूद हैं| मणिधारी नाग मिलना दुर्लभ होता है| इसलिए हम सोचते हैं कि नागमणि या मणिधारी नाग होते ही नहीं हैं| वृहत्ससंहिता में नागमणि के बारे में कई रोचक बातें बताई गई हैं जिससे साबित हो सकता है कि नागमणि वास्तव में हो सकती हैं|
नागमणि विशेष नाग के सिर पर स्थित होती है|
नागमणि में बहुत अधिक चमक होती है| नागमणि की चमक से आस-पास तेज रोशनी फैल जाती है|
नागमणि का रंग मोर के कंठ के समान होता है तथा यह अग्नि के समान चमकीली दिखती है|
अन्य मणियों के मुकाबले में नागमणि अधिक प्रभावशाली और अलौकिक होती है|
जिसके पास भी यह नागमणि होती है| उस पर कभी विष का प्रभाव नहीं होता है और वह रोगों से मुक्त रहता है|
वराहमिहिर ने लिखा है कि यदि नागमणि किसी राजा के पास हो तो वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है तथा उनके राज्य में खुशहाली भी बनी रहती है| इसके कारण समय से वर्षा होती है और फसल भी अच्छी होती है| जिस कारण राजा की प्रजा भी खुश रहती है|