रामायण में जब रावण देवी सीता का अपहरण करके लंका ले गया तो श्री राम तथा लक्ष्मण जी देवी सीता को ढूंढते हुए हनुमान जी से मिले| हनुमान जी ने श्री राम को सुग्रीव से मिलाया| श्री राम से मित्रता होने के बाद सुग्रीव ने भी देवी सीता की खोज में पूरी मदद करने का आश्वासन दिया| साथ ही सुग्रीव ने श्री राम को बताया कि किस प्रकार उसी के भाई बालि ने बलपूर्वक उसको राज्य से निकाल दिया और उसकी पत्नी पर भी अधिकार कर लिया| सुग्रीव की बात सुनकर श्री राम ने भी मित्रता का कर्तव्य निभाते हुए सुग्रीव को बालि के आतंक से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया|
जब श्री राम ने बालि को बाण मारा और वह घायल होकर धरती पर गिर पड़ा| अपने पिता के अंतिम क्षणों में अंगद उसके पास आया| तब बालि ने अंगद को कुछ ऐसी बातें बताई जो आज भी हमें परेशानियों से बचा सकती हैं|
बालि ने कहा-
देशकालौ भजस्वाद्य क्षममाण: प्रियाप्रिये।
सुखदु:खसह: काले सुग्रीववशगो भव।।
इस श्लोक में बालि ने अगंद को ज्ञान की तीन बातें बताई हैं जो इस प्रकार हैं|
देश काल और परिस्थितियों को समझो।
किसके साथ कब, कहां और कैसा व्यवहार करें, इसका सही निर्णय लेना चाहिए।
पसंद-नापसंद, सुख-दु:ख को सहन करना चाहिए और क्षमाभाव के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए।
यह ज्ञान की बातें बता कर बालि ने अपना पुत्र अंगद अपने भाई सुग्रीव को सौंप दिया|