हिन्दू धर्म में अनेक मान्यताओं को माना जाता है| हर मान्यता का अपना ही एक महत्व है| इनमें से एक मान्यता है जनेऊ धारण करना और शिखा बांधना| शास्त्रों के अनुसार जनेऊ धारण करने वाले को शौच कर्म के समय कान पर जनेऊ लपेटकर रखना चाहिए| जबकि शिखा को हमेशा बांधकर रखना चाहिए|
यह केवल धर्म से जुड़ी मान्यता नहीं है बल्कि इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है| यदि आपको इस मन्यता से जुड़े फायदे के बारे में पता चलेगा तो आप भी इसका लाभ उठाना पसंद करेंगे| आइए जानते हैं कि शिखा क्यों बांधी जाती है|
शिखा को जीवन का आधार कहा गया है| प्राचीन काल में जब किसी को उसके अपराध के लिए मृत्यु दंड देना होता था परन्तु उसका वध नहीं किया जा सकता था तब उसकी शिखा काट ली जाती थी| शिखा काटने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है| मस्तिष्क के भीतर जहां पर बालों का आवर्त होता है उस स्थान पर नाड़ियों का मेल होता है| उसे ‘अधिपति मर्म’ कहा जाता है| यह हमारे मस्तिष्क का बहुत नाजुक स्थान होता है| यदि व्यक्ति को इस स्थान पर चोट लगे तो उसकी मृत्यु हो सकती है| शिखा इस स्थान के लिए कवच का काम करती है| शिखा तीव्र सर्दी, गर्मी से मर्मस्थान को सुरक्षित रखने के साथ – साथ चोट लगने से भी बचाव करती है|
मस्तिष्क में जहां शिखा का स्थान होता है| वहां शरीर की सभी नाड़ियों का मेल होता है| इस स्थान के मूल भाग को ‘मस्तुलिंग’ कहा जाता है| यह मस्तिष्क के साथ ज्ञानेन्द्रियों यानी कान, नाक, जीभ, आँख को प्रभावित करता है साथ ही कामेन्द्रियों जैसे हाथ, पैर आदि पर भी नियंत्रण रखता है|
मस्तुलिंग जितने सामर्थ्यवान होते हैं उतनी ही ज्ञानेन्द्रियों और कामेन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है| शिखा व्यक्ति के मन को भी संयमित करता है| यदि हम शिखा बांधते हैं तो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख सकते हैं| इसलिए ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले लोग शिखा बांधकर रखते हैं|
यदि जनेऊ की बात करें तो मान्यता है कि शौच के समय इसे दाएं कान पर धारण करना चाहिए| माना जाता है कि दायां कान अधिक पवित्र होता है और इस तरफ प्रमुख देवताओं का वास होता है| शास्त्रों में कहा गया है कि
“आदित्या वसवो रुद्रा, वायुरग्निश्च घर्रयाट। विप्रस्य दक्षिणे कर्णे, नित्यं तिष्ठन्ति देवताः।।
दाएं कान पर जनेऊ रखने से यह देवताओं के संपर्क में रहता है जिससे शौच के समय भी जनेऊ की शुद्घता और पवित्रता बनी रहती है|
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो जनेऊ पुरुष के स्वास्थ्य और पौरुष के लिए बहुत ही लाभकारी होता है| यह हृदय रोग की संभावना को कम करता है| चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ा होता है| मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्र की रक्षा होती है| जिन पुरुषों को स्वप्न दोष होता है उन्हें सोते समय कान पर जनेऊ लपेट कर सोना चाहिए| माना जाता है कि स्वप्न दोष की समस्या से मुक्ति मिल जाती है|