एक औरत अपने बच्चे को एक संत व्यक्ति के पास लेकर गई। उसने संत से कहा, “मेरे डॉक्टर ने कहा है कि मेरे बेटे को मधुमेह है। इसलिये उसे मीठा नहीं खाना चाहिए। लेकिन अगर मैं उसे मना करुंगी, तो वो मीठा खाना बंद नहीं करेगा। चूंकि आप एक पुण्य आत्मा हैं, इसलिए मुझे यकीन है कि अगर आप उसे मीठा खाने के लिए मना करेंगे तो वो आपकी बात जरूर सुनेगा और इस तरह उसका जीवन सुरक्षित रह सकेगा।”
संत ने एक क्षण के लिए कुछ सोचा और फिर उस महिला से कहा, “मैं बच्चे को आज मीठा खाने के लिए मना नहीं कर सकता। उसे वापस कल मेरे पास लेकर आओ।” निराशा और उलझन के साथ महिला बच्चे को लेकर वापस लौट गई।
अगले दिन वह फिर संत के पास आई। संत ने कड़ाई से लड़के को देखा और कहा, “तुम्हें मीठा खाना बंद कर देना चाहिए।” लड़का इतना चौंका हुआ था कि उसने उस दिन के बाद मीठा खाना छोड़ दिया।
जब मां ने उत्सुकता से उस संत से पूछा, “स्वामीजी, आपने यही बात कल मेरे बेटे से क्यों नहीं कही थी?”
संत ने जवाब दिया, “क्योंकि कल जब तुम मेरे पास आई थी, तभी मैं खुद मीठा खा रहा था।”