हिन्दू धर्म में पौराणिक काल में कुछ अलग तरह के जीव-जंतु भी रहे हैं जैसे कि गांधर्व जोकि हिन्दू धर्म काफ़ी पुराने जीवों में से हैं जिनका सिर मनुष्यों जैसा और शरीर का बाकि हिस्सा घोड़े या पक्षी के समान था| इन अलौकिक प्राणियों का वर्णन उपनिषद्, गरुड़ पुराण और कई ग्रथों में किया गया है|
आइए जानते हैं कुछ रोचक बातें इन प्राणियों के बारे में जो कि हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं :-
1. अदिति
प्राचीन भारत में अदिति की पूजा का प्रचलन था। अदिति को देवताओं की माता कहा गया है| इसे एक गाय के रूप में दर्शाया जाता है जो सबकी देखभाल करती है, परन्तु तभी तक जब तक इन्हे उचित सम्मान मिलेगा| अगर इसे चोट पहुंचे गयी तब ये धरती नष्ट कर सकती है| अदिति का रिग वेद में 80 बार वर्णन किया जा चुका है|
यह एक जल जीव है जिसका शरीर मछली जैसा, हाथी जैसी सूंड, शेर के पैरों के समान पैर, बंदर जैसी आँखे, सूअर जैसे कान अथवा पीछे से मोर के आकर के समान प्रतीत होता है| यह माँ गंगा अथवा वरुण देव की सवारी है|
उच्चैःश्रवा सात सिर वाला सफेद रंग का घोड़ा है जो इंद्रा देव का वाहन है| माना जाता है कि इसे वानर बाली ने प्राप्त किया था अब इसकी कोई भी प्रजाति धरती पर नहीं बची। उच्चै:श्रवा का पोषण अमृत से होता है। यह अश्वों का राजा है। इसका उल्लेख भागवत गीता, रामायण, विष्णु पुराण आदि ग्रंथों में किया गया है|
अहि एक असुर था जो एक सर्प या अझदहा (ड्रैगन) भी था| इंद्रा देव ने इसका वध किया क्योंकि इसने संसार सारा पानी पी लिया था| अतः इसका वध कर इंद्र देव ने पानी फिर से छोड़ा| अहि गायों और औरतों को चुरा लेता था|
अपने नाम के अनुसार नवगुणजरा नौ प्राणियों को मिला कर बना है| कहानी के अनुसार यह अर्जुन को भ्रमित करने के लिए कृष्णा का एक रूप था| इस प्राणी को जंगल में देख अर्जुन चकित हुए और उसपर निशाना साध लिया| जिसके बाद अर्जुन रुके और इस प्राणी का निरिक्षण करने लगे| बाद में उन्हें ज्ञात हुआ कि यह भगवान कृष्णा का रूप है जिसका अर्जुन ने आशीर्वाद लिया|
7. शराभा
आपने भगवान शिव को हमेशा शांत स्वरुप ही देखा होगा परंतु क्या आप जानते हैं शिव का एक विब्हस स्वरूप भी है जिसका नाम शराभा है|
माना जाता है कि हिर्न्यकश्यपू का वध करने के बाद भगवान विष्णु के अवतार नरसिम्हा बहुत क्रोध में आ गये थे| उन्हें शांत करना असंभव हो रहा था| तब देवता घबराकर भगवान शिव की शरण में गये थे और भगवान शिव ने एक विब्हस रूप धरा था| बताते हैं कि शराभा ने नरसिम्हा को अपने पंखों से घायल किया और काफी दूर तक खीच कर ले गये| जिसके बाद भगवान विष्णु शांत हुए थे और अपने रूप में वापस आये थे|
8. शेषनाग
वैसे तो शेषनाग को हर कोई जानता है कि ये भगवान विष्णु की शय्या है जिन पर विष्णु जी आराम करते हैं| परंतु आप यह नहीं जानते होंगे कि शेषनाग के 1000 फन हैं जो पूरी पृथ्वी का भार अपने ऊपर लिए हुए है|
पुराणों के अनुसार शेषनाग के 1000 भाई थे जो असुरी प्रवृतियों में लीन थे| परंतु शेषनाग ऐसे नहीं थे वे अपने भाइयों कि प्रवृतियों से परेशान आकर हिमालय चले गए थे| वहाँ जाकर उन्होंने कड़ी तपस्या कर अपनी व अपने भाइयों की प्रवृतियों के लिए पश्चाताप किया| शेषनाग की इस तपस्या से भगवान ब्रह्मा ने खुश होकर उन्हें एक वरदान दिया, जिसके तहत उन्हें पृथ्वी का भार दिया गया|