भीम एक बहुत बलशाली योद्धा था। महाभारत में भीम के बारे में बताया गया है कि भीम में दस हजार हाथियों के समान बल था। एक बार भीम ने अकेले ही अपने बल से नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया था। भीम में इतना बल आने के पीछे एक रोचक गाथा है।
भीम पाण्डु का पुत्र था। पांचो पांडवों का जन्म वन में हुआ था। पांडवों के जन्म के बाद कुछ समय तो पाण्डु अपने परिवार के साथ रहे। परन्तु जल्दी ही उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु के पश्चात् वन में रहने वाले साधुयों के मन में विचार आया कि पिता के बिना पांडवों का व्न में रहना उचित नहीं है। इसलिए उन्हें हस्तिनापुर भेज देना चाहिए।
इस विचार से समस्त ऋषिगण पाण्डु के पुत्रों, अस्थि तथा पत्नियों को लेकर हस्तिनापुर पहुंचे। वहां पहुँच कर उन्होंने भीष्म तथा धृतराष्ट्र को पाण्डु के पुत्र के जन्म तथा पाण्डु की मृत्यु के बारे में बताया। यह बात सुनकर भीष्म ने पाण्डु के परिवार को हस्तिनापुर रख लिया।
वहां आने के बाद पांडवों के वैदिक संस्कार सम्पन्न हुए। पांडव तथा कौरव आपस में खेलने लगे। वे आपस में जो भी खेल खेलते, उसमें भीम की ही जीत होती थी। दौड़ लगाना या कुश्ती खेलना जैसे खेलों में भीम सभी धृतराष्ट्र पुत्रों को हरा देते थे। हर बार भीम की जीत होने के कारण दुर्योधन के मन में भीमसेन के प्रति दुर्भावना पैदा हो गई।
दुर्योधन के मन में भीम के प्रति इतनी घृणा पैदा हो गयी कि वह अब भीम को मारने के बारे में सोचने लगा।
भीम को मारने के लिए दुर्योधन ने एक योजना बनाई। दुर्योधन ने खेलने के बहाने से गंगा तट पर शिविर लगवाया। जिस स्थान पर शिविर लगाया गया, उस स्थान का नाम उदकक्रीडन रखा गया। दुर्योधन ने पांडवों को भी वहां खेलने के लिए आमन्त्रित किया और सब के लिए वहां खाने पीने का भी अच्छा प्रबन्द करवाया।
एक दिन दुर्योधन ने अवसर पा कर भीम को दिए जाने वाले भोजन में विष मिला दिया। विष मिला भोजन करने से भीम अचेत हो गया। भीम के अचेत होने पर दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर उसे गंगा में डाल दिया। अचेत अवस्था में भीम नागलोक पहुँच गए। नागलोक में मौजूद सांपों ने भीम को इतना डसा कि भीम के अंदर विष का असर कम हो गया। विष का असर कम होने पर भीम को होश आया तो वह इतने सरे सर्पों को देखकर डर गया और उन्हें मारने लगा।
सभी सर्प भीम से डरकर नागराज वासुकि के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई। उनकी बात सुनकर वासुकि स्वयं भीम से मिलने आये। वासुकि के साथ आये आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। आर्यक नाग भीम के नाना का नाना थे।
वह भीम से मिलकर बहुत प्रसन्न हुए। तब आर्यक ने वासुकि से कहा कि भीम को उन कुण्डों का रस पीने की आज्ञा दी जाए जिनमें दस हजारों हाथियों का बल है। वासुकि ने भीम को उस रस को पीने की आज्ञा दे दी। तब भीम आठ कुण्ड पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गया।
इधर दुर्योधन भीम को मृत समझकर बहुत प्रसन्न था। पांडवो को लगा कि भीम बिना किसी को बताये हस्तिनापुर वापिस लौट गया होगा। परन्तु हस्तिनापुर पहुँच कर जब माता कुंती ने भीम के बारे में पूछा तो सभी पांडव हैरान हो गए। सारी बात जानकर माता कुंती बहुत चिंतित हो गयी और उन्होंने विदुर को बुलाया और भीम को ढूंढने के लिए कहा।
भीम रस पीने के बाद आठ दिन तक सोया रहा। आठवें दिन भीम द्वारा पिया गया रस पचा। रस पचने के बाद भीम की आँख खुली। भीम को होश आने के बाद नागों ने भीम को गंगा के बाहर छोड़ दिया। भीम को सही सलामत देखकर सभी बहुत प्रसन्न हुए।
तब भीम ने माता कुंती व अपने भाइयों के सामने दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने तथा नागलोक में क्या-क्या हुआ, यह सब बताया। युधिष्ठिर ने भीम से कहा कि वह यह बात किसी और को न बताए।