भगवान् शिव सभी के प्रिये हैं और भक्तो की भक्ति से बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं| यही कारण है की ज्यादातर हिन्दू घरों में हमें शिवलिंग के दर्शन हो जाते हैं| परन्तु बहुत कम ही लोग ये जानते हैं की शिवलिंग की पूजा की सही विधि क्या है और किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए| आइये जानते हैं की घर में शिवलिंग स्थापित करते समय किन किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए और शिवलिंग की पूजा करने का सही तरीका क्या है|
घर में शिवलिंग स्थापित करने से पहले ये जरुर ध्यान में रखे की भगवान् शिव के साथ नंदी और सांप का होना अनिवार्य है वरना शिवलिंग खंडित माना जाता है और ऐसे शिवलिंग को घर में स्थापित करने से उसका दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है| शिवलिंग का योनी भाग जहाँ से पानी का निकास होता है कभी भी उत्तर या पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए| ज्ञात हो की अगर पञ्च महादेव (भगवान् शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी) शिवलिंग घर में स्थापित किया जाए तो पूरे परिवार को समृद्धि की प्राप्ति होती है और साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते है|
भगवान् शिव को बेलपत्र अति प्रिय है अतः शिवलिंग के ऊपर बेलपत्र चढाने से भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं साथ ही कभी भी शिवलिंग पर पैकेट का और उबला दूध नहीं चढ़ाना चाहिए अगर चढ़ाना ही है तो गाय का दूध और दही सर्वोत्तम है| सदा ही ठंढे पानी और दूध से ही शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए| कभी भी शिवलिंग पर चढ़ाई गयी वस्तुओं को नदी समुद्र या तालाब के अलावा कहीं और न फेंके अगर आस पास नदी न हो तो घर के गमलों में डाल दें ध्यान रहे की पीपल और तुलसी की जड़ों में शिवलिंग पर चढ़ाई वस्तु रखने से बुरा प्रभाव पड़ता है|
शिवलिंग पर नारियल तो चढ़ाया जा सकता है परन्तु नारियल पानी चढ़ाना वर्जित है| शिवलिंग पर चढ़ाई वस्तु के भस्म को निर्माल्य कहा जाता है जो की पुजारी के द्वारा दिया गया हो तो ही ग्रहण करे अथवा बहते पानी में प्रवाहित कर दे या फिर सिर्फ तुलसी या पीपल की जड़ों में डाल दें| ज्ञात हो की गंधर्व महिमन द्वारा शिव निर्माल्य का अपमान करने पर उनका विनाश हो गया था| यूँ तो शिवलिंग पर मनुष्य के पार्थिव शरीर की राख से श्रृंगार करना चाहिए परन्तु ऐसा सभी के लिए संभव नहीं है तो सफ़ेद चन्दन की लकड़ी के लेप या फिर अस्ट गंध से ही त्रिपुंड बनाना चाहिए|
कभी भी शिवलिंग पर चढ़ाये गए पुष्प, चन्दन या इत्र को सूंघना मना है महिलाओं को शिवलिंग की पूजा की मनाही नहीं है परन्तु उनके द्वारा सिर्फ पानी और पुष्प का चढ़ावा स्वीकार्य है| शिवलिंग पर ताजे फल या सूखे मेवे ही प्रसाद के रूप में चढ़ाना चाहिए| शिवलिंग के विसर्जन के समय ये मंत्र अवश्य बोले “आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं पूजा कर्म न जानामि क्षम्यताम परमेश्वरं मंत्र हिनं क्रिया हिनं भक्ति हीनं सुरेश्वरं यत पूजितं मया देवं क्षम्यताम परमेश्वरं”| शाम के समय शिवलिंग के आगे धुप और दीप प्रज्वलित करना चाहिए और पुष्प अर्पित करना चाहिए| शिवलिंग पर गुड़हल के पुष्प या धतुरा ही चढ़ाये कभी भी केतकी के पुष्प न अर्पित करें साथ की केवडा और चंपा के पुष्प भी वर्जित हैं क्योंकि दोनों पुष्प देवर्षि नारद द्वारा शापित हैं|