हिन्दू धर्म के अनुसार, अंजनी पुत्र हनुमान जी वानर के मुख वाले अत्यंत बलशाली पुरुष थे| कंधे पर जनेऊ लटकाए और मात्र एक लंगोट पहने और एक स्वर्ण मुकुट एवं शरीर पर स्वर्ण आभुषण पहने दिखाए जाते है| उनकी वानर के समान लंबी पुँछ है एवं हाथ में गदा होता है|
आपको जानकर हैरानी होगी की राम भक्त हनुमान जी ब्रह्मचारी होते हुए भी शादीशुदा थे| हनुमान जी का एक मंदिर जो की उनकी पत्नी के साथ उनके वैवाहिक रूप में हैदराबाद से 220 किलोमीटर दूर खम्मम जिले में स्थित है| इस मंदिर की प्रसिद्धि का कारण वहाँ विराजमान हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला की प्रतिमा है| यह बहुत ही पुराना मंदिर है और वहाँ के लोग ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को हनुमान जी के विवाह का जश्न बड़े ही धूमधाम से मनाते है|
सुवर्चला, हनुमान जी की अर्धांगनी, सूर्य देव की पुत्री थी| ऐसा माना जाता है कि जो इस विवाहित जोड़े यानि हनुमान जी और उनकी पत्नी के दर्शन करता है उसके वैवाहिक जीवन में कभी कष्ट नहीं आता और सारी समस्याएं दूर भाग जाती है, और दंपति के बीच का सम्बन्ध अच्छा बना रहता है|
हनुमान जी ने क्यों किया विवाह आइए जानते है-
हनुमान जी अविवाहित नहीं, विवाहित थे| उनका विवाह सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला से हुआ था| मान्यता के अनुसार सूर्य देव को हनुमान जी ने अपना गुरु बनाया था, सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं और पवनपुत्र हनुमान इन सभी विद्याओं का ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे| 5 विद्याओं का ज्ञान सूर्य देव से लेते समय तो हनुमानजी को कोई समस्या नहीं आई, परन्तु बची हुई 4 विद्याओं के लिए उनके समक्ष एक संकट खड़ा हो गया|
हुआ यूं था कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान केवल उसी व्यक्ति को दिया जा सकता था जो विवाहित हों| लेकिन हनुमानजी जी ठहरे बाल ब्रह्मचारी, वो तो स्त्रीयों से दूर रहते थे| इसी कारणवश सूर्य देव उन्हें शेष चार विद्याओं का ज्ञान नहीं दे सकते थे| सूर्य देव ने हनुमान के समक्ष विवाह करने की बात की ताकि वे इस समस्या का निवारण कर सकें| पहले तो हनुमान जी ने सूर्य देव की बात नहीं सुनी और विवाह के लिए इंकार कर दिया, परन्तु वे उन शेष 4 विद्याओं का ज्ञान पाना चाहते थे इसीलिए उन्होंने विवाह के लिए हाँ कर दी|
इसके पश्चात हनुमान जी के लिए एक कन्या की खोज शुरू कर दी गई और तभी सूर्य देव ने अपनी पुत्री सुवर्चला के लिए हनुमान के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा| क्योंकि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी थी और हनुमान जी से बेहतर उन्हें कोई और सहन नहीं कर सकता था| सूर्य देव ने बताया की इससे शादी करने के बाद भी तुम ब्रह्मचारी ही रहोगे क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला दुबारा तपस्या में लीन हो जाएगी, और तुम्हे बाकि की 4 विद्याओं का ज्ञान प्राप्त हो जाएगा|
इन सब बातों को जानने के बाद हनुमानजी का विवाह सुवर्चला से सूर्य देव द्वारा करवाया गया| विवाह के पश्चात सुवर्चला पुनः तपस्या में लीन हो गई और हनुमानजी से अपने गुरु सूर्य देव से शेष 4 विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया| इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी बने रहे|