मान्यता है कि गायत्री माँ की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। माँ गायत्री को शक्ति, ज्ञान, पवित्रता तथा सदाचार का प्रतीक कहा जाता है। इनकी आराधना करने से दया भाव, आदर भाव आदि की प्राप्ति होती है।
माता गायत्री के मंत्र
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए वस्त्र अथवा ओढ़नी चढ़ाना चाहिए-
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः |
वासोग्ने विश्वरूपर्ठ संव्ययस्व विभावसो ||
मां गायत्री की पूजा में उन्हें इस मंत्र के द्वारा मुकुट चढ़ाना चाहिए-
मातस्तवेमं मुकुटं हरिन्मणि-प्रवाल-मुक्तामणिभि-र्विराजितम् |
गारूत्मतैश्चापि मनोहरं कृत गृहाण मातः शिरसो विभूषणम् ||
इस मंत्र के द्वारा मां गायत्री को धूप दिखलाना चाहिए-
दशांगधूपं तव रंजनार्थं नाशाय मे विघ्नविधायकानाम् |
दत्तं मया सौरभचूर्णयुक्तं गृहाण मातस्तव सन्निधौ च ||
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए-
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् |
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ||
मां गायत्री की आरती करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
इदर्ठ हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीरः सर्व्गणर्ठ स्वस्तये |
आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि ||
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करते हुए पूगीफल समर्पण करना चाहिए-
ॐ याः फ़लिनीर्या अफ़ला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः |
बृहस्पतिप्रसूतास्तानो मुंचन्त्वर्ठ हसः ||
मां गायत्री की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए-
ॐ ओषधीः प्रतिमोददध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः |
अश्चा इव सजित्वरीवींरूधः पारियिष्णवः ||
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें ताम्बूल समर्पण करना चाहिए-
कर्पूर्-जातीफ़ल-जायकेन ह्येला-लवंगेन समन्वितेन |
मया प्रदत्तं मुखवासनार्थं ताम्बूलमंगी कुरू मातरेतत् ||
इस मंत्र को पढ़ते हुए मां गायत्री को सिन्दूर समर्पण करना चाहिए-
ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्यायाहेतिं परिबाधमानाः |
हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान्पुमान पुमार्ठ सम्परिपातु विश्वतः ||
मां गायत्री की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उनका आवाहन करना चाहिए-
आयाहि वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि |
गायत्रि छन्दसां मातर्ब्रह्ययोने नमोस्तु ते ||