कौरवों के नाश का कारण एक स्त्री थी। हम सभी जानते हैं कि कौरवों के वंश का अंत द्रोपदी के कारण हुआ। परन्तु क्या आप इस सत्य से अवगत हैं कि दुर्योधन कि मृत्यु का कारण द्रोपदी नहीं बल्कि उसकी माँ गांधारी थी।
आइए जानते हैं कि गांधारी किस तरह अपने ही पुत्र की मृत्यु का कारण बनी।
जब महाभारत का युद्ध आरम्भ होने वाला था। तब गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन से कहा कि वे गंगा में स्नान कर नग्नावस्था में ही उसके सामने उपस्थित हो जाए। अपनी माँ के आदेशानुसार दुर्योधन गंगा में स्नान करने के लिए चल पड़ा। स्नान के पश्चात जब दुर्योधन अपनी माँ के कहे अनुसार नग्न अवस्था में उनके समक्ष प्रस्तुत होने के लिए जाने लगा। तो मार्ग में उसकी मुलाकात श्री कृष्ण से हुई।
श्री कृष्ण दुर्योधन का अपनी माँ के समक्ष नग्नावस्था में जाने का कारण जानते थे। इसीलिए उन्होंने चालाकी से दुर्योधन को अपनी बातों में लेने के लिए कहा कि तुम्हें लज्जा नहीं आती, ऐसी हालत में तुम महल की ओर कैसे जा सकते हो? पहले तुम बालक थे, किसी भी रूप में अपनी माता के सामने जा सकते थे, लेकिन अब तुम बड़े हो गए हो, माता गांधारी के समक्ष ऐसे जाना अनुचित है।
दुर्योधन ने श्री कृष्ण की बातों में आकर अपने कमर के निचले हिस्से को पत्तों से ढक लिया और फिर गांधारी के समक्ष उपस्थित हो गया। दुर्योधन के आने पर जैसे ही गांधारी से अपने नेत्र खोले, उनकी दृष्टि दुर्योधन के नग्न शरीर पर पड़ी जिसकी वजह से उसका शरीर वज्र के समान कठोर हो गया।
परन्तु जिस हिस्से पर दुर्योधन ने पत्ते बांधें हुए थे। गांधारी की दृष्टि उस भाग पर नहीं पड़ सकी और शरीर का वह जाँघों का हिस्सा कठोर नहीं हो सका।
गांधारी भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। गांधारी के तप से भगवान शिव बहुत प्रसन्न थे। इसलिए उन्होंने गांधारी को वरदान दिया था कि वह अपनी आंखों की पट्टी खोलकर जिसे भी देखेगी उसका शरीर कठोर हो जायेगा।
गांधारी ने इसी कारण दुर्योधन को अपने समक्ष नग्नावस्था में आने को कहा था ताकि उसका पूरा शरीर कठोर हो सके और युद्ध में कोई उसे मार न सके। लेकिन कृष्ण की बातों में आकर दुर्योधन अपने गुप्तांगों और जांघों को ढककर चला गया, जिसकी वजह से उसके शरीर का यह भाग कमजोर रह गया और परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हुई।
महाभारत के युद्ध के दौरान भीम द्वारा दुर्योधन की जंघा के भाग पर वार करने से ही दुर्योधन की मृत्यु हुई।