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भगवद गीता

भगवद गीता (आत्मसंयमयोग- छठा अध्याय : श्लोक 1 – 47)

    अथ षष्ठोऽध्यायः- आत्मसंयमयोग ( कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ पुरुष के लक्षण ) श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी च योगी… Read More »भगवद गीता (आत्मसंयमयोग- छठा अध्याय : श्लोक 1 – 47)

    भगवद गीता (कर्मसंन्यासयोग- पाँचवाँ अध्याय 1 – 29)

      अथ पंचमोऽध्यायः- कर्मसंन्यासयोग ( सांख्ययोग और कर्मयोग का निर्णय ) श्रीभगवानुवाच सन्न्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि । यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम्‌ ॥ भावार्थ… Read More »भगवद गीता (कर्मसंन्यासयोग- पाँचवाँ अध्याय 1 – 29)

      भगवद गीता (ज्ञानकर्मसंन्यासयोग – चौथा अध्याय : 1 – 42)

        अथ चतुर्थोऽध्यायः- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ( सगुण भगवान का प्रभाव और कर्मयोग का विषय ) श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्‌ । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्‌ ॥ भावार्थ… Read More »भगवद गीता (ज्ञानकर्मसंन्यासयोग – चौथा अध्याय : 1 – 42)

        भगवद गीता (कर्मयोग – तीसरा अध्याय : श्लोक 1 – 43)

          अथ तृतीयोऽध्यायः- कर्मयोग (ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करने की श्रेष्ठता का निरूपण) अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन ।… Read More »भगवद गीता (कर्मयोग – तीसरा अध्याय : श्लोक 1 – 43)

          भगवद गीता (सांख्ययोग नामक – दूसरा अध्याय : श्लोक 1 – 72)

            अथ द्वितीयोऽध्यायः- सांख्ययोग ( अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद ) संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्‌ । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ भावार्थ :… Read More »भगवद गीता (सांख्ययोग नामक – दूसरा अध्याय : श्लोक 1 – 72)

            भगवद गीता (अर्जुनविषादयोग – पहला अध्याय : श्लोक 1-47)

              अथ प्रथमोऽध्यायः- अर्जुनविषादयोग ( दोनों सेनाओं के प्रधान-प्रधान शूरवीरों की गणना और सामर्थ्य का कथन ) धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव… Read More »भगवद गीता (अर्जुनविषादयोग – पहला अध्याय : श्लोक 1-47)