एक बार की बात है। वृन्दावन में एक संत रहा करते थे। उनका नाम था कल्याण, वे बाँके बिहारी जी के परमभक्त थे। एक बार उनके पास एक सेठ आया, अब था तो सेठ… लेकिन कुछ समय से उसका व्यापार ठीक से नही चल रहा था। उसको व्यापार में बहुत नुकसान हो रहा था।
सेठ उन संत के पास गया और उनको अपनी सारी व्यथा बताई और कहा, महाराज मेरे व्यापार में कुछ दिनों से काफी नुकसान हो रहा है आप कोई उपाय करिये। संत ने कहा सेठ जी अगर मैं ऐसा कोई उपाय जानता तो आपको अवश्य बता देता। लेकिन मैं ऐसी कोई विद्या नही जानता जिससे मैं आपके व्यापार को ठीक कर सकु, ये मेरे बस में नही है। हमारा तो एक ही सहारा है, बिहारी जी….
इतनी बात हो ही पाई थी, कि बिहारी जी के मंदिर खुलने का समय हो गया। संत सेठ जी को बिहारी जी के मंदिर में ले आये और अपने हाथ को बिहारी जी की ओर करते हुए सेठ जी को बोले, आपको जो कुछ भी मांगना है…जो कुछ भी कहना है…इनसे कह दो। ये सबकी कामनाओ को पूर्ण कर देते है।
सेठ जी ने बिहारी जी से प्रार्थना की, दो चार दिन वृन्दावन में रुके और फिर चले गए। कुछ समय बाद सेठ जी का सारा व्यापार धीरे-धीरे ठीक हो गया। अब सेठ जी समय-समय पर बिहारी जी के दर्शन करने वृन्दावन आने लगे। लेकिन कुछ समय बाद सेठ जी थोडे अस्वस्थ हो गए, वृन्दावन आने की शक्ति भी अब उनके शरीर मे नही रही। एक बार उसका एक जानकार वृन्दावन धाम की यात्रा पर जा रहा था इस बात को जानकर सेठ जी को बड़ी प्रसन्नता हुई!
सेठ जी ने उसे कुछ पैसे दिए और कहा कि ये धन तू बिहारी जी की सेवा में लगा देना और उनको पोशाक धारण करवा देना। वो भक्त जब वृन्दावन आया तो उसने सेठ जी के कहे अनुसार बिहारी जी के लिए पोशाक बनवाई और उनको भोग भी लगवाया। लेकिन इन सब व्यवस्था में धन थोड़ा ज्यादा खर्च हो गया। लेकिन उस भक्त ने सोचा…चलो कोई बात नही, थोड़ी सेवा बिहारी जी की हमसे भी बन गई।
अब इधर मंदिर बंद हुआ तो बिहारी जी रात को सेठ जी के स्वप्न में पहुच गए। सेठ जी को स्वप्न में ही बिहारी जी ने कहा, तुमने जो मेरे लिए सेवा भेजी थी वो मेने स्वीकार की… लेकिन उस सेवा में 249 रुपये ज्यादा लगे है, तुम उस भक्त को ये रुपय लौटा देना। ऐसा कहकर बिहारी जी अंतर्ध्यान हो गए।
सेठ जी की जब सुबह आँख खुली तो वे बिहारी जी की लीला देख कर आश्चर्य चकित रह गए। सेठ जी जल्द से जल्द तैयार हो कर उस भक्त के घर पहुच गए और उसको सारी बात बताई। यह सब जानकर वो भक्त आश्चर्य चकित रह गया, कि ये बात तो सिर्फ मैं ही जनता था और तो मैने किसी को बताई भी नही।
सेठ जी ने उनको वो 249 रुपये दिए और कहा… “मेरे सपने में श्री बिहारी जी आए थे, वो ही मुझे ये सब बात बता कर गए है”… ये लीला देखकर वो भक्त खुशी से मुस्कुराने लगा और बोला जय हो बिहारी जी की इस कलयुग में भी हमारे बिहारी जी किसी का कर्ज किसी के ऊपर नही रहने देते। जो एक बार इनकी शरण ले लेता है। फिर उसे किसी से कुछ माँगना नही पड़ता, उसको सब कुछ मिलता चला जाता है।।