क्या आप जानते हैं भगवान शिव की पांच बेटियों के जन्म की कथा?

भारत में शिव जी को भगवान के रूप में तथा देवी पार्वती को माँ की रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव को देवों के देव भी कहते हैं। इनके अन्य नाम महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ, तथा शंकर आदि हैं। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं। उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल रहता है।

माँ पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं। माँ पार्वती देवी सती का ही रूप हैं। माँ पार्वती को उमा तथा गौरी आदि नामो से भी जाना जाता है। माँ पार्वती का जन्म हिमनरेश के घर हुआ था जो कि हिमालय का अवतार थे। माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था तथा अपने कठोर तप में वह सफल भी हुई।

आपने भगवान शिव तथा देवी पार्वती से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी होंगी। परन्तु भगवान शिव की पांच बेटियों की कथा के बारे में केवल कुछ ही लोग जानते हैं।

एक दिन भगवान शिव और माँ पार्वती एक सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे। उस समय भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया।  तब महादेव ने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। उन वीर्य से पांच कन्यायों का जन्म हो गया। परन्तु यह कन्याएं मनुष्य रूप में ना होकर सर्प रूप में थी।

माँ पार्वती को इस विषय में कोई जानकारी नही थी। परन्तु भगवान शिव तो सब जानते थे कि वो अब पांच नाग कन्यायों के पिता हैं। कौन पिता नही चाहता कि वह अपनी पुत्रियों के साथ खेले। महादेव भी अब एक पिता थे और वह भी अपनी पुत्रियों के साथ समय बिताना चाहते थे तथा उनके साथ खेलना चाहते थे। इसलिए पुत्री मोह के कारण भगवान शिव अब हर दिन उस सरोवर पर नाग कन्यायों से मिलने आते तथा उनके साथ खेलते।

प्रतिदिन महादेव का ऐसे चले जाने से देवी पार्वती को शंका हुई। इसलिए उन्होंने भगवान शिव का रहस्य जानने की कोशिश की। एक दिन जब महादेव सरोवर की ओर जाने लगे तो देवी पार्वती उनके पीछे-पीछे सरोवर पहुँच गयी। वहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को नाग कन्यायों के साथ खेलते हुए देखा।

यह देखकर देवी पार्वती को बहुत क्रोध आया। क्रोध के वशीभूत होकर देवी पार्वती ने नाग कन्यायों को मारना चाहा। जैसे ही उन्होंने नाग कन्यायों को मारने के लिए अपना पैर उठाया तो भगवान शिव ने कहा कि यह आपकी पुत्रियां हैं। देवी पार्वती बहुत आश्चर्यचकित हुई। फिर भगवान शिव ने देवी पार्वती को नाग कन्यायों के जन्म की कथा सुनाई। कथा सुनकर देवी पार्वती हंसने लगी।

भगवान शिव ने बताया की इन नाग कन्यायों का नाम है- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि सावन में जो भी इन कन्यायों की पूजा करेगा उसे सर्प भय नही रहेगा। इन कन्यायों की पूजा करने से परिवार के सदस्यों को सांप नही डसेगा। यही कारण है की सावन में भगवान शिव की पांच नाग पुत्रियों की पूजा की जाती है।

Previous Article

What is Veda? What are the various forms of Veda?

Next Article

What is Ram Navami and how is it celebrated?

Write a Comment

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *