एक पति-पत्नी में तकरार हो गयी पति कह रहा था : “मैं नवाब हूँ इस शहर का लोग इसलिए मेरी इज्जत करते है और तुम्हारी इज्जत मेरी वजह से है।” पत्नी कह रही थी : “आपकी इज्जत मेरी वजह से है। मैं चाहूँ तो आपकी इज्जत एक मिनट में बिगाड़ भी सकती हूँ और बना भी सकती हूँ।” नवाब को तैश आ गया और बोला “ठीक है दिखाओ मेरी इज्जत खराब करके” बात आई गई हो गयी। नवाब के घर शाम को महफ़िल जमी थी दोस्तों की हंसी मजाक हो रहा था कि अचानक नवाब को अपने बेटे के रोने की आवाज आई, वो जोर जोर से रो रहा था और नवाब की पत्नी बुरी तरह उसे डांट रही थी। नवाब ने जोर से आवाज देकर पूछा कि क्या हुआ बेगम क्यों डाँट रही हो?
बेगम ने अंदर से कहा “देखिये ना आपका बेटा खिचड़ी मांग रहा है और जबकि उसका पेट भी भर चुका है” नवाब ने कहा “दे दो थोड़ी सी और” बेगम बोली “घर में और भी तो लोग है सारी इसी को कैसे दे दूँ?” पूरी महफ़िल शांत हो गयी। लोग कानाफूसी करने लगे कि कैसा नवाब है? जरा सी खिचड़ी के लिए इसके घर में झगड़ा होता है। नवाब की पगड़ी उछल गई सभी लोग चुपचाप उठ कर चले गए। नवाब उठ कर अपनी बेगम के पास आया और बोला “मैं मान गया, तुमने आज मेरी इज्जत तो उतार दी, लोग भी कैसी-कैसी बातें कर रहे थे। अब तुम यही इज्जत वापस लाकर दिखाओ” बेगम बोली “इसमे कौन सी बड़ी बात है आज जो लोग महफ़िल में थे उन्हें आप फिर किसी बहाने से उन्हें निमंत्रण दीजिये”
नवाब ने फिर से सबको बुलाया बैठक और मौज मस्ती के बहाने सभी मित्रगण बैठे थे, हंसी मजाक चल रहा था कि फिर वही नवाब के बेटे की रोने की आवाज आई नवाब ने आवाज देकर पूछा “बेगम क्या हुआ क्यों रो रहा है हमारा बेटा?” बेगम ने कहा “फिर वही खिचड़ी खाने की जिद्द कर रहा है” लोग फिर एक दूसरे का मुंह देखने लगे कि यार एक मामूली खिचड़ी के लिए इस नवाब के घर पर रोज झगड़ा होता है। नवाब मुस्कुराते हुए बोला “अच्छा बेगम तुम एक काम करो तुम खिचड़ी यहाँ लेकर आओ हम खुद अपने हाथों से अपने बेटे को देंगे वो मान जाएगा और सभी मेहमानो को भी खिचड़ी खिलाओ” बेगम ने जवाब दिया “जी नवाब साहब” बेगम बैठक खाने में आ गई पीछे नौकर खाने का सामान सर पर रख आ रहा था, हंडिया नीचे रखी और मेहमानो को भी देना शुरू किया अपने बेटे के साथ। सारे नवाब के दोस्त हैरान -जो परोसा जा रहा था वो चावल की खिचड़ी तो कत्तई नहीं थी।
उसमे खजूर-पिस्ता-काजू बादाम-किशमिश गिरी इत्यादि से मिला कर बनाया हुआ सुस्वादिष्ट व्यंजन था। अब लोग मन ही मन सोच रहे थे कि ये खिचड़ी है? नवाब के घर इसे खिचड़ी बोलते हैं तो -मावा-मिठाई किसे बोलते होंगे? नवाब की इज्जत को चार-चाँद लग गए । लोग नवाब की रईसी की बातें करने लगे। नवाब ने बेगम के सामने हाथ जोड़े और कहा “मान गया मैं कि घर की औरत इज्जत बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है और जिस व्यक्ति को घर में इज्जत हासिल नहीं उसे दुनियाँ मे कहीं इज्जत नहीं मिलती!” सृष्टि मे यह सिद्धांत हर जगह लागू हो जाएगा। अहंकार युक्त जीवन में सृष्टि जब चाहे हमारे अहंकार की इज्जत उतार सकती है और नम्रता युक्त जीवन मे इज्ज़त बना
सकती है