हिंदुस्तान तो भगवानों का देश है। यहाँ नए और प्राचीन कई मंदिर हैं। पर कई मंदिर ऐसे भी हैं जो अत्यंत रहस्यमय हैं और जिनके रहस्य हम आज तक नहीं जान पाए। आइए आज एक ऐसे ही मंदिर की बात करते हैं।
राजस्थान के बाड़मेर से 39 किलोमीटर की दूरी पर हाथमा गाँव है, जहां के मंदिरों के खंडहरों में रात में कदम रखते ही लोग पत्थर के बन जाते हैं। यह कोई श्राप है, चमत्कार है या भूतों की हरकत, यह कोई नहीं जानता। हालांकि किसी ने यह जानने की हिम्मत कभी भी नहीं करी की क्या सच में यहां रात रुकने पर वह पत्थर बन जाएगा? इस बात में कितनी सच्चाई यह जानने के लिए कुछ लोग इन् खंडरों में अँधेरा होने के बाद गए. वहां क्या हुआ यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
मान्यता है कि इस शहर पर एक साधु का श्राप लगा हुआ है। यह लगभग 900 साल पहले की बात है, तब इस शहर में एक सिद्ध संत ने डेरा डाला था। कुछ दिन रहने के बाद जब वे संत तीर्थ भ्रमण पर निकले तो उन्होंने अपने साथियों को स्थानीय लोगों के सहारे छोड़ दिया कि आप इनको भोजन-पानी देना और इनकी सुरक्षा करना। संत के जाने के बाद उनके सारे शिष्य बीमार पड़ गए और बस एक कुम्हारिन को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति ने उनकी सहायता नहीं की। बहुत दिनों के बाद जब संत पुन: उस शहर में लौटे तो उन्होंने देखा की मेरे सभी शिष्य भूख से तड़प रहे हैं और वे बहुत ही बीमार अवस्था में हैं। उस सिद्ध संत ने कहा कि जिस स्थान पर साधुओं के प्रति दयाभाव ही नहीं है, तो अन्य के साथ क्या दयाभाव होगा? ऐसे स्थान पर मानव जाति को नहीं रहना चाहिए।
यह सब देखकर संत को बहुत क्रोध आया। क्रोध में अपने कमंडल से जल निकाला और हाथ में लेकर संपूर्ण नगरवासियों को पत्थर बन जाने का शाप दे दिया।
साधु ने उस कुम्हारन से कहा की तेरे ह्रदय में दूसरों के लिए करुणा और ममता है इसलिए तू यहां से चली जा। साथ में साधू ने उस औरत को ये चेतावनी भी दी की जाते समय पीछे मुड़कर बिलकुल नहीं देखना वरना तू भी इन सब की तरह पत्थर की हो जाएगी। इतना सुनते ही कुम्हारन वहां से तुरंत चली गयी।
जाते वक़्त कुम्हारन के मन में अचानक एक विचार आया की क्या सच में किराडू के लोग पत्थर के हो गए हैं? यह देखने के लिए वह जैसे ही पीछे मुड़ी वह खुद भी पत्थर की मूर्ति में तब्दील हो गयी। कुम्हारन की वह पत्थर की मूर्ति आज भी अपने उस डरावने अतीत को बयां करती दिखाई देती है.
इन सब रहस्यमई चीजो को जानने के बाद कुछ लोगों ने वहां रात को रुकने का मन बना लिया। उन्होंने वहां रुकने का मन बना तो लिया परन्तु ऐसा हो ना सका क्योंकि पास के गाव में रहने वाले लोगो ने उन्हें यहाँ रुकने नहीं दिया।
आज तक इस मंदिर के खंडरों का रहस्य बरकरार है। कैसे जान पाएगा कोई की अगर ऐसा होता है तो इसके पीछे कारण क्या है? शायद कभी ऐसा कोई दिन आएगा जब हम सब इसका रहस्य जान पाएंगे।