श्री कृष्ण के कारण ही महाभारत का युद्ध पांडवों के हित में रहा| युद्ध के समय श्री कृष्ण ने अनेक लीलाएं रची और पांडवों को युद्ध में विजय दिलवाई| इन लीलाओं में से एक लीला थी श्री कृष्ण का महाभारत के युद्ध के समय हर दिन मूंगफली खाना| श्री कृष्ण के हर दिन मूंगफली खाने के पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य था| जिसे केवल उडूपी के राजा जानते थे|
महाभारत युद्ध की घोषणा के बाद कौरव तथा पांडव देश के सभी राज्यों से युद्ध के लिए सहयता मांगने लगे| कुछ राज्यों ने कौरवों का साथ दिया तो कुछ ने पांडवों का| परन्तु उन सभी राज्यों में से एक राज्य था – उडूपी, जो किसी भी पक्ष में नहीं था|
उडूपी के राजा श्री कृष्ण के पास आए और उनसे कहने लगे कि महाभारत के युद्ध में लाखों योद्धा शामिल होंगे और युद्ध करेंगे लेकिन इनके लिए भोजन का प्रबंध कैसे होगा? बिना भोजन के तो कोई योद्धा लड़ ही नहीं पाएगा| इसलिए दोनों पक्षों के लिए भोजन का प्रबंध मेरी ओर से रहेगा| श्री कृष्ण ने उडूपी के राजा को सभी योद्धाओं के लिए भोजन बनाने की जिम्मेदारी दे दी|
परन्तु वह राजा अब एक चिंता में थे और वह अपनी चिंता लेकर श्री कृष्ण के पास आए| श्री कृष्ण को अपनी चिंता बताते हुए उन्होंने कहा कि हर दिन कितने लोगों का भोजन बनाया जाए क्योंकि युद्ध में हर दिन हजारों योद्धा वीरगति को प्राप्त होंगे। अगर भोजन कम होगा तो सैनिक भूखे रह जाएंगे और अधिक हुआ तो देवी अन्नपूर्णा का अपमान होगा|
श्री कृष्ण ने राजा की चिंता का हल बताते हुए कहा कि मैं हर दिन उबले हुए मूंगफली खाऊंगा| जिस दिन मैंने मूंगफली के जितने दाने खाये समझ लेना उस दिन उतने हजार सैनिक मारे जायेंगे| इस तरह श्री कृष्ण ने उडूपी के राजा के सामने एक बड़ा रहस्य खोल दिया जिससे हर दिन सैनिकों को पूरा भोजन मिल जाता था और अन्न का अपमान भी नहीं होता था|