इंसान इस धरती का सबसे रहस्यमय व विचित प्राणी है. जैसे ही हमें लगता है की हमें किसी विख्यात इंसान के बारे में सब कुछ अच्छे से पता है तो, उसी वक़्त कोई ना कोई अत्मकथा सामने आ जाती है जिनसे हमें कुछ और नए किस्से पता चलते हैं जिनके बारे में हमें उस से पहले कुछ भी पता नहीं होता।
आईये ऐसे ही कुछ अजीओबोगरीब व असाधारण व्यक्तितत्व वाले प्रसिद्ध लोगों के बारे में कुछ जानते हैं. हम दावे से कह सकते हैं की यह पोस्ट पढ़ के आप दांग रह जाएंगे।
बेंजामिन फ्रेंक्लिन
1768, में बांजेमिन ने अपने मित्र को फ्रांस में पत्र लिखा जिसमें उन्होंने उसको बताया की वह रोज़ सुबह बिना कोई कपडा पहने खुली खिड़की के पास बैठ के पढ़ते और लिखते थे. ऐसा वह प्रतिदिन 1 घंटे या अधिक समय के लिए करते थे.
फ्रेंक्लिन ने अपने जीवन में कई आविष्कार किये और यह सब जानने के बाद हम यह कह सकते हैं की उनका दिमाग हम सब से अलग था. उधारण के तौर पे जैसे हम सब यह सोचते हैं की ज़ुखाम व खांसी मौसम के बदलाव के कारण होती है, मगर फ्रेंक्लिन ऐसा नहीं मानते थे. उनका कहना था की यह सब गलत है और हमको अपने घर को हवादार बनाना चाहिए। उस समय में आम जनता को स्वछ हवा के बारे में कुछ नहीं पता था और ना ही इस बारे में की अस्वछ हवा इंसान के लिए कितनी हानिकारक है.
फ्रेंक्लिन को सांस की तकलीफ थी और इसी वजह से उन्होंने यह थ्योरी बनाई।
सद्दाम हुसैन
जी हाँ, आप जो पढ़ने जा रहे हैं वह एकदम सही है. किसने सोचा था की सद्दाम जैसा इंसान जो इतना क्रूर था वह ऐसा भी कर सकता था. हुसैन ने पूरे दो साल लगा के ‘खुनी कुरान’ लिखी। हमारे कहने का मतलब यह है की उसने अपने खून से कुरान लिखी।
एक नर्स, हुसैन के साथ बैठती थी और उसके शरीर से कुल 27 लीटर खून निकाला गया. यह खून एक शख्स इस्तेमाल करता था कुरान लिखने के लिए.
हुसैन ने अपने धर्म को दुबारा तब अपनाया जब उसका बेटा कातिलों के चुंगल से बहार निकल पाया। उसके मन में यह विचार आया की उप्पर वाले ने उसकी व उसके बेटे की जान कई बार बचाई है. इसका शुक्रिया करने के लिए उसने यह फैसला लिया की वह अपने लहू से कुरान लिख के उप्पर वाले का सहक्रिया अदा करेगा।
ऐसा करना सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं था. हुसैन ने ऐसा इसलिए भी किया क्योंकि वह यह दुनिया को दिखाना चाहता था की धर्म की रक्षा करने के लिए वह अपना खून भी बहा सकता है.
चाणक्य
शायद ही कोई इंसान होगा जिसे चाणक्य के बारे में ना पता हो. चाणक्य का चरित्र एक अंग्रेजी किताब/टीवी नाटक ‘गेम ऑफ़ थ्रोन्स’ से बहुत मिलता जुलता है. चाणक्य एक बहुत अच्छे अध्यापक थे और उन्होंने भारत के इतिहास को बदलने में बहुत बड़ा योगदान दिया था. इससे इंसान ने चंद्रगुप्त मौर्या को अपना साम्राज्य स्थापित करने में पूरा सहयोग दिया था.
परंतु, चाणक्य ही वह इंसान हैं जिन्होंने धीरे धीरे छोटी छोटी मात्रा में मौर्या को विष दिया था. इस बात की खबर मौर्या या किसी और को बिलकुल भी नहीं थी. चाणक्य ने ऐसा क्यों किया? उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि थोड़ी थोड़ी मात्रा में दिया गया विष, जो उनके भोजन में मिलाया हुआ होता था, उनको उनके शत्रुओं के किसी ऐसे कदम से अंदरूनी तौर से ताकतवर बना दे. उनको अगर कभी कोई शत्रु विष देता है तो उसका असर उनके उप्पर न हो.
रानी ने एक बार गलती से उनका भोजन खा लिया और उसी वक़्त उन्होंने दम तोड़ दिया। जिस वक़्त ऐसा हुआ उस वक़्त रानी पेट से थी. जब यह घटना हुई, कहा जाता है की उसी वक़्त चाणक्य ने रानी का पेट काट कर बच्चे को बहार निकाल लिया।
आर्कमिडीज
एक दिन आर्कमिडीज ने जैसे ही सनान लेने के लिए कदम रख उनको एक चीज़ का एहसास हुआ. वह इतने ज़्यादा उतावले हो गए की उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं रहा की उन्होंने कपडे नहीं पहने हुए हैं. वह सबको अपनी खॊज को बताने के जोश में बहार सड़कों पे दौड़ने लगे और ज़ोर ज़ोर से ‘यूरेका’ बोलने लगे. वह इस वक़्त भी नग्न अवस्था में थे.
आखिर आर्कमिडीज ने ऐसे किस चीज़ की खोज कर ली थी जो वह अपनेआप को रोक न सके? जब वह अपने स्नान घर में रखे बाथ टब में बैठे तो उनको एहसास हुआ की ‘विस्थापित पानी की मात्रा उसके शरीर के हिस्से की मात्रा जलमग्न के बराबर होना चाहिए’ (volume of water displaced must be equal to the volume of the part of his body he had submerged).
यह खोज 200 साल बाद दे आर्किटेक्चर नामक किताब में प्रकाशित हुई.
ब्राम स्टोकर
दुनिया ब्राम स्टोकर को उनकी रचना ‘ड्रैक्युला’ से जानती है. ऐसा नहीं है की उन्होंने और किसी कथा इतियादी की रचना नहीं की, पर ड्रैक्युला सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है. ड्रैक्युला ने और भी कई किताबें लिखी थी और उनका हॉरर से कोई लेना देना नहीं था.
1910 में उन्होंने एक किताब लिखी जिसका नाम था ‘फेमस इम्पोसट्र्स’ जिसमें उन्होंने कई अजीब बातें लिखीं थी. उद्धरण के तौर पे उन्होंने लिखा की उस वक़्त की रानी एलिज़ाबेथ एक मर्द है और वह औरतों के कपडे पहन के और विग लगा के रखते हैं. प्रमाणों की कमी की वजह से उन्होंने यह भी लिखा की असली रानी छोटी उम्र में ही मर गई थीं. उनकी दाई माँ ने नज़दीकी नगर में से एक छोटे लड़के को ढूंढा जो बिलकुल एलिज़ाबेथ जैसा दीखता था और उसको रानी के कपडे पहनाये। ब्राम के अनुसार इंग्लैंड को इसी तरह काई सालों तक धोखा दिया गया.
चार्ल्स डिकेन्स
चार्ल्स एक ‘निराले’ ही इंसान थे. वह अपने परिवार और दोस्तों को ह्य्प्नोतिस्म के ज़रिये अपने वश में करते थे. वह अपने बिस्तर को भी सिर्फ उत्तर दिशा में ही रख के सोते थे. उनका मानना था की ऐसा करने से उनके विचार और सोचने की सहमत बढ़ती है.
चार्ल्स को मृतक शरीर देखने का भी शौक था. उनका कहना था की जब भी वह पेरिस में होते थे तो ना चाहते हुए भी एक अदृश्य ताक़त उनको मुर्दाघर में खींच के ले जाती थी. वह खुद वहां पे जाना नहीं चाहते थे. उनका हर साल क्रिसमस और नई ईयर मुर्दाघर पे ही मनता था.
अल्बर्ट आइंस्टीन
1895 में आइंस्टीन ने स्विस फ़ेडरल पॉलीटेक्निकल स्कूल में एडमिशन के लिए आवेदन दिया। उस समय वह 17 साल के थे. साइंस और गणित जैसे विषेयों में तो उनके बहुत अच्छे अंक आये किन्तु इतिहास, भूगोल, भाषा इतियादी में वह बुरी तरह से असफल रहे.
आइंस्टीन जैसे प्रतिभाशाली इंसान भी असफल हो सकता।