हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है| उनका जन्म राजा केसरी और उनकी पत्नी अंजनी के घर हुआ था| हनुमान जी के जन्म के समय इनका नाम मारुति रखा गया था| केसरी और अंजनी का पुत्र होने के कारण इन्हे अंजनी पुत्र और केसरी नंदन भी कहा जाता है| आइए जानते हैं कि अंजनी पुत्र मारुति का नाम हनुमान कैसे पड़ा|
हनुमान जी को बालपन से ही बहुत भूख लगती थी| उनकी भूख को संतुष्ट करना बहुत मुश्किल कार्य होता था| एक बार माता अंजनी किसी कार्य में व्यस्त थी| उसी समय बाल हनुमान उनके पास आकर कुछ खाने के लिए हठ करने लगे तो माता अंजनी ने कहा कि वह बगीचे में जाकर कुछ फल खा लें|
माता के कहे अनुसार वह बगीचे में फल खाने के उद्देश्य से पहुंचे| परन्तु आसमान में सूर्य को देखकर वह सूर्य को फल समझ बैठे और तेजी से सूर्यदेवता की ओर पहुंचकर उन्हें निगलने की कोशिश में अपना मुंह बड़ा कर लिया| जैसे ही उन्होंने सूर्य को निगला पूरी सृष्टि में अंधकार छा गया|
यह देखकर सभी देवता बाल हनुमान के पास आये और उनसे आग्रह किया कि वो सूर्य देव को छोड़ दें| परन्तु उन्होंने हठ में सूर्य देव को नहीं छोड़ा| जब हनुमान जी ने सभी देवताओं के आग्रह को नजरअंदाज कर दिया तो इंद्र ने क्रोधित होकर बाल हनुमान पर अपने वज्र से वार किया| वह वज्र जाकर मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर लगा।
यह देख कर हनुमान जी के धर्म पिता पवन देव को बहुत क्रोध आया| क्रोध में आकर उन्होंने सारे संसार में पवन का बहना रोक दिया| जिस कारण सृष्टि संकट में आ गयी| इसलिए इंद्र ने पवनदेव को तुरंत मनाया| इसके बाद नन्हें मारुति को सभी देवताओं ने अपनी ओर से शक्तियां प्रदान की। सूर्यदेवता के तेज अंश प्रदान करने के कारण ही हनुमान बुद्धि संपन्न हुए| वज्र मारुति के हनु पर लगा था जिसके कारण ही उनका नाम हनुमान हुआ|