गोवर्धन पूजा की परम्परा श्री कृष्ण ने महाभारत काल में शुरू की थी| गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन की जाती है| गोवर्धन पूजा से एक कथा जुड़ी हुई है जो इस प्रकार है :-
एक बार इंद्र देव को अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड हो गया था| इसलिए श्री कृष्ण ने इंद्र देव का घमंड तोड़ने के बारे में सोचा| अपने इसी कार्य को पूर्ण करने के लिए उन्होंने एक लीला रची|
श्री कृष्ण की माता तथा सभी ब्रजवासी इंद्र देव की पूजा की तैयारी के रहे थे| कृष्ण जी ने अपनी माता से बहुत मासूमियत से पूछा कि मईया, आप सब किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं? तब माता ने बताया कि वह सब इंद्र देव की पूजा करने की तयारी कर रहे हैं|
कृष्ण जी ने अपनी माता से इंद्र देव की पूजा किये जाने का कारण पूछा| तब मईया ने बताया कि इंद्र वर्षा करते हैं और उसी से हमें अन्न और हमारी गाय को घास मिलता है| यह सुनकर कृष्ण जी ने तुरंत कहा “मैइया हमारी गाय तो अन्न गोवर्धन पर्वत पर चरती है, तो हमारे लिए वही पूजनीय होना चाहिए|”
सभी ब्रजवासियों ने श्री कृष्ण की बात में हामी भरी और इन्द्रदेव के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की| इस बात से इंद्र देव बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी| धीरे धीरे इस वर्षा ने बाढ़ का रूप ले लिया| अब सभी ब्रजवासियों के प्राण संकट में थे| तब कृष्ण जी ने वर्षा से सब के प्राणों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया।
सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली| यह देख इंद्र देव और क्रोधित हो गए और उन्होंने वर्षा की गति और भी तेज कर दी| तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियंत्रित करने को कहा और शेषनाग से मेंड़ बनाकर पर्वत की ओर पानी आने से रोकने को कहा|
इंद्र देव लगातार रात- दिन मूसलाधार वर्षा करते रहे| काफी समय बीत जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि कृष्ण कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं| तब वह ब्रह्मा जी के पास गए| तब उन्हें ज्ञात हुआ की श्रीकृष्ण कोई और नहीं स्वयं श्री हरि विष्णु के अवतार हैं| इतना सुनते ही वह श्री कृष्ण के पास जाकर उनसे क्षमा याचना करने लगें|
इसके बाद देवराज इन्द्र ने कृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाया| तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा कायम है| मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं|
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें|
घर की रसोई में ताजे पकवान बनाएं|
घर के आंगन या खेत में गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिमा बनाएं|
इसके बाद पूजा करें और साथ ही कृष्ण भगवान की आरती करें|
इस दिन पुरे परिवार को एक साथ भोजन करना चाहिए|