भगवान शिव को अनेक नामों से जाता हैं जैसे शिव शंकर, महादेव, भोले भंडारी तथा भोलेनाथ आदि। कहते हैं कि शिव आदि और अनंत हैं। शिव को सबसे श्रेष्ठ देव माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा पूरे मन तथा विधि से की जाये तो मन चाहे फल की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव की पूजा की सामग्री
भांग, बेल पत्र, जल से भरा लौटा, दीप, गंगाजल, धुप, इत्र, धतुरा, फल, फूल, पांच मेवा, चंदन, रोली, हल्दी, शृंगार के लिए अष्टगंध, नारियल और पंचामृत।
पूजा विधि
शिवलिंग की पूजा प्रारम्भ करने से पहले गणेश जी की पूजा करें।
संकल्प लेने के बाद शिवलिंग के समक्ष दिया जलाएं और फिर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। शिवलिंग पर अभिषेक या धारा के लिए जिस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है वह हैः
1 । ऊं हृौं हृीं जूं सः पशुपतये नमः ।
२ । ऊं नमः शंभवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय, च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।
ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।
इसके पश्चात एक बार फिर जल चढ़ाएं और जल चढ़ाने के बाद गंगाजल चढ़ाएं।
पंचामृतेन वा गंगोदकेन वा अभावे गोक्षीर युक्त कूपोदकेन च कारयेत |
गंगाजल चढ़ाने के बाद इत्र छिड़कें और बेल पत्र चढ़ाएं| बेल पत्र चढ़ाते समय इस श्लोक का प्रयोग किया जाता है|
त्रिदलं त्रिगुणाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुधम।
त्रिजन्म पाप संहारकम एक बिल्वपत्रं शिवार्पणम॥
उसके बाद अष्टगंध द्वारा शिवलिंग का श्रृंगार करें।
श्रृंगार करने के बाद शिवलिंग पर हल्दी, चन्दन और रोली चढ़ाएं।
इसके पश्चात् शिवलिंग पर फूल और माला अर्पित करें। फूल और माला अर्पित करते हुए इस मंत्र का जाप करें|
नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च |
नमसतीथर्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च ||
इसके पश्चात् शिवलिंग पर भांग और धतूरा चढ़ाएं।
नारियल और मेवे चढ़ाने के बाद शिवलिंग को धूप दिखाएं।
अब खड़े होकर शिवलिंग को दिया दिखाते हुए शिव चालीसा पढ़ें।
चालीसा पढ़ने के बाद भगवान शिव की आरती करें।
आरती समाप्त होने के बाद भगवान शिव के समक्ष प्रार्थना करें।
इसके पश्चात् माँ पार्वती तथा नन्दी की पूजा करें।