एक विद्यालय में एक बहुत ही समझदार और सुलझे हुए अध्यापक पढ़ाते थे। उन्हें जीवन का बहुत अनुभव था। एक बार उन्होंने अपने विद्यार्थियों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। इसी उद्देश्य से उन्हने कक्षा में पहुँच कर सभी विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र दिए, जिसमें बहुत सारे प्रश्न लिखे हुए थे। अचानक प्रश्नपत्र देखकर विद्यार्थी चिंतित हो गए।
प्रश्नपत्र देने के बाद अध्यापक ने विद्यार्थियों से कहा कि अपना प्रश्नपत्र उल्टा करो और उत्तर देने शुरू करो। सभी विद्यार्थियों ने अपने अध्यापक के कहे अनुसार प्रश्नपत्र उल्टा किया तो वह अचंभित हो गए। क्योंकि प्रश्नपत्र के पीछे एक काले बिंदु को छोड़कर कोई भी प्रश्न नही था बल्कि पूरा पेज खाली था।
विद्यार्थियों को परेशान देखकर अध्यापक ने कहा कि आप को इस पेज पर जो कुछ भी नजर आ रहा है उसके बारे में लिखो।
सभी विद्यार्थियों ने अपनी समझदारी के अनुसार खाली पेज पर अंकित काले बिंदु के बारे में लिखा। किसी ने बिंदु के आकार, तो किसी ने बिंदु की स्थिति और दिशा के बारे में लिखा।
कुछ समय बाद अध्यापक ने सभी के उत्तर पढ़ने शुरू किए। विद्यार्थियों द्वारा दिए गये उत्तर देखने के बाद उन्होंने सब से कहा कि यह परीक्षा मैंने आपको अंक देने के लिए नही ली थी बल्कि मैं आप सब को एक बात समझाना चाहता था। किसी भी विद्यार्थी ने उस पेज के सफेद हिस्से के बारे में नहीं लिखा। सभी का ध्यान उस पेज पर बने छोटे से बिंदु पर था। हमारा जीवन भी सफेद पेज की तरह हैं परन्तु हम हमेशा उस छोटे से काले बिंदु के समान छोटी-छोटी समस्याओं के बारे में सोचते रहते हैं। हमारा ध्यान हमारे जीवन की खुशियों की बजाय छोटी छोटी समस्याओं पर रहता है और यही हमारी चिंता का कारण बनता है।
हमारे जीवन में काले बिंदु का स्थान बहुत छोटा है इसलिए अपना ध्यान उस काले बिंदु से हटाकर सकारात्मक जीवन की राह में आगे बढ़ना चाहिए।