माना जाता है कि घर में सुख समृद्धि के लिए लक्ष्मी जी तथा भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दोनों की जोड़ी धरती के लोगों के जीवन में संतुलन बनाए रखने का काम करती है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऐसी घटना घटि कि भगवान विष्णु की आँखों में लक्ष्मी जी के कारण आंसू आ गए। आइए जानते है इस कथा के बारे में।
एक समय की बात है विष्णु जी ने अपने धाम से निकलकर धरती पर जाने के बारे में सोचा। जब लक्ष्मी जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने भी विष्णु जी के साथ धरती पर जाने की इच्छा व्यक्त की।
भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को धरती पर ले जाने के लिए मान गए। परन्तु उन्होंने धरती पर जाने से पहले लक्ष्मी जी के आगे एक शर्त रखी। विष्णु जी ने कहा कि तुम मेरे साथ चल सकती हो लेकिन एक शर्त है कि तुम धरती पर पहुंचकर उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखोगी। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी द्वारा रखी शर्त मान ली और वह दोनों धरती पर जाने के लिए निकल पड़े।
जिस समय वे धरती पर पहुंचे, उस समय सूर्य देव उदय ही हुए थे। रात में हुई बारिश की वजह से आस पास की हरियाली का नजारा बहुत ही अद्भुत था। हरियाली की खूबसूरती को देखते देखते लक्ष्मी जी को अपने वचन का स्मरण नही रहा और वह उत्तर दिशा की ओर एक बगीचे में चली गयी। वहां से लक्ष्मी जी ने बिना सोचे एक फूल भी तोड़ लिया। जब वह फूल तोड़ने के बाद वापस आईं तो भगवान विष्णु की आंखों में आंसू थे।
विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को उनका वचन याद दिलाया और कहा कि किसी से पूछे बिना उसकी चीज को हाथ नहीं लगाना चाहिए। लक्ष्मी जी को अपनी गलती का अहसास हुआ तथा उन्होंने अपनी गलती के लिए विष्णु जी से क्षमा मांगी। विष्णु जी ने कहा कि उन्होंने जो गलती की है उसकी सजा उन्हें अवश्य मिलेगी। जिस माली के बगीचे से उन्होंने फूल तोड़ा है उन्हें उस माली के घर नौकर बनकर रहना होगा।
लक्ष्मी जी ने अपनी सजा स्वीकार कर ली तथा उस माली के घर चली गयी। एक गरीब औरत का रूप धारण करके लक्ष्मी जी ने माली के घर अपनी सजा पूरी की। जब माली को पता चला कि वह औरत लक्ष्मी जी हैं तो उसे बहुत पश्च्याताप हुआ तथा वह अपने तथा अपने परिवार की तरफ से लक्ष्मी जी से क्षमा मांगने लगा कि हमने आपसे अनजाने में घर और खेत में काम करवाया। हमसे बहुत बड़ा अपराध हो गया। कृपा करके आप हम सबको माफ़ कर दें।
यह सुनकर लक्ष्मी जी मुस्कुराईं और बोलीं, ‘हे माधव तुम बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्त्ति हो। तुमने मुझे अपनी बेटी की तरह रखा तथा अपने परिवार का सदस्य बनाया। इसके बदले मैं तुम्हें वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियों और धन की कमी नहीं रहेगी, तुम्हें वह सारे सुख मिलेंगे जिसके तुम हकदार हो। इसके बाद मां लक्ष्मी वापस विष्णु जी के पास चली गई।