हमारे हिन्दू धर्म में ये मान्यता है की मनुष्य मृत्यु के बाद अपने कर्मों के अनुसार ही स्थान प्राप्त करता है जैसे अगर किसी ने अपने जीवनकाल में अच्छे कार्य किये हैं तो उसे स्वर्ग में उच्च स्थान प्राप्त करेगा और अगर किसी ने अपने जीवनकाल में बुरे कार्य किये हैं तो उसे नरक में यमदूतों द्वारा दण्डित किया जाता है| इसी डर की वजह से आज भी लोग किसी गलत काम को करने से पहले 1000 बार सोचते हैं यही पाप पुण्य और स्वर्ग नरक का डर या विश्वास है जिसकी वजह से धरती पर आज भी इंसानियत कायम है| परन्तु अगर भूल वश अगर आपसे कोई ऐसा कार्य हो गया है जो की पाप की श्रेणी में आता है तो यमराज के दंड से बचने का उपाय भी है|
भगवान शिव के भक्तों को यमराज भी दंड देने से घबराते हैं क्योंकि भगवान शिव को महाकाल यानी कालों का भी काल कहा जाता है शास्त्रों में बताया गया है कि जो शिव भक्त माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव के लिए व्रत और पूजा करते हैं उन्हें नरक जाने से मुक्ति मिल जाती है। क्योंकि यह चतुर्दशी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में इसका कारण यह बताया गया है कि, इसी दिन हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती की शादी का प्रस्ताव भगवान शिव के पास भेजा था, यानी इसी दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ था।
इस तिथि से ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शिवरात्रि के समान खास है लेकिन उनमें माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशी शिव को सबसे अधिक प्रिय है। शास्त्रों में बताया गया है कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक निवारक चतुदर्शी है। इसदिन व्रत रखकर जो व्यक्ति भगवान शिव सहित पार्वती और गणेश की पूजा करता है उन पर शिव प्रसन्न होते हैं।
नर्क जाने से बचने के लिए नरक निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और खासतौर पर बेड़ जरुर भेंट करना चाहिए। शिव का व्रत रखने वाले को पूरे दिन निराहार रहकर शाम में व्रत खोलना चाहिए। व्रत खोलने के लिए सबसे पहले बेर और तिल खाएं। इससे पाप कट जाते हैं और व्यक्ति स्वर्ग में स्थान पाने का अधिकारी बनता है। लेकिन सिर्फ व्रत से ही काम नहीं चलेगा आपको यह भी प्रण करना होगा कि मन, वचन और कर्म से जान बूझकर कभी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे। क्योंकि भूखे रहने से नहीं नियम पालन से पूरा होता है।