जब भी हम कोई गलत कार्य करते है तो हमारे मन में ये डर जरुर होता है की भगवान् हमें हमारे बुरे कर्मों की सजा अवश्य देंगे| ऐसे तो अगर आपकी आस्था जिस देवी या देवता में हो सबसे ज्यादा डर भी उन्ही से लगता है| परन्तु एक देवता ऐसे भी हैं जिनका नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूट जाते है और उनके प्रकोप से बचने के लिए हम किसी भी उपाय को करने में नहीं हिचकते है| हम बात कर रहे हैं सूर्य पुत्र शनि देव की जिनके ढैया और साढ़े साती की दृष्टि जिस पर भी पड़ी उसका अहित होना शुरू हो जाता है|
शनि देव का जन्म सूर्य देव और देवी सवर्णा के पुत्र के रूप में ज्येष्ठ के महीने की कृष्ण अमावस्या को हुआ था| अपने दुसरे भाइयों के विपरीत शनि देव ने अपने पिता की अपेक्षा अपनी माता से श्याम वर्ण लिया था| और उनके जन्म लेते ही उनके पिता भगवान् सूर्य को कुष्ठ रोग हो गया था| कुष्ठ रोग से पीड़ित होने से तो सूर्य देव आहत थे ही साथ ही शनि देव की कुरूपता देख कर वो और भी क्रोधित हो उठे और अपनी पत्नी देवी सवर्णा से शनि देव को छुपा कर रखने को कहा| उन्होंने देवी सवर्णा से कहा की किसी को भी ये पता न चले की यह कुरूप बालक मेरा अर्थात सूर्य देव का पुत्र है| सूर्य देव की आज्ञा अनुसार शनि देव को उनकी माता ने वन में छुपा कर रखा|
बचपन से ही शनि देव बड़े गुस्से वाले थे और पिता द्वारा तिरस्कृत किये जाने की वजह से उनका स्वभाव बड़ा ही क्रूर होता चला गया| शनिदेव के सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र और शरीर भी इंद्रनीलमणि के समान। यह गिद्ध पर सवार रहते हैं। इनके हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल रहते हैं। जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना ये ऐसे कार्य हैं जिन्हें करने पर कोई भी शनि देव के कोप का भाजन बन सकता है|
शनि देव का अपने पिता सूर्य देव से सदा ही मतभेद रहता था और सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से सदा की क्रोध में रहते थे| सूर्य देव ने अपने सभी पुत्रों के लिए अलग अलग लोक बनाये परन्तु शनि देव उतने से संतुष्ट नहीं हुए और समस्त लोकों पर आक्रमण की योजना बना ली| शनि देव को विनाश का देवता माना जाता है और उनका वाहन गिद्ध भी विनाश का प्रतिक है इसी वजह से शनि देव ने गिद्ध को अपने वाहन के रूप में चुना था|