दीपावली को उत्तर भारत में हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है| वैसे तो दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है| परन्तु क्या आप जानते है की दीपावली से एक दिन पहले धनतेरस क्यूँ मनाया जाता है और उस दिन किस देवता की पूजा की जाती है| आइये आज जानते हैं धनतेरस और उसके पीछे छुपी कथा के बारे में|
जब महाराजा बलि का प्रताप बढ़ता जा रहा था और श्राप की वजह से देवराज इंद्र की शक्तियां क्षीण पड़ गयी थी| तो भगवान् ब्रम्हा के आग्रह पर सभी देवताओं ने भगवान् विष्णु से अपनी शक्तियां वापिस पाने का उपाय पुछा तो भगवान् विष्णु ने उन्हें दैत्यों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करने को कहा| देवराज इंद्र ने बड़े भारी ह्रदय से उनका आदेश स्वीकार कर महाराजा बलि से बात की और अंततः अमृत के लोभ में महाराजा बलि मान गए और अपने दैत्यों के साथ समुद्र मंथन शुरू किया|
समुद्र मंथन से चौदह रत्न निकले जिसमे से अमृत कलश के साथ भगवान् धन्वन्तरी भी अवतरित हुए थे| भगवान् धन्वन्तरी को आयुर्वेद के जनक के रूप में भी जाना जाता है और उन्ही की पूजा धनतेरस के दिन की जाती है| भगवान् धन्वन्तरी के बारे में एक कथा और प्रचलित है एक बार ऋषि गलवान को पूजा के लिए एक विशेष प्रकार की कुशा चाहिए थी जिसको तलाश करने वो वन में बड़ी दूर चले आये थे और बहुत देर तक पैदल चलने की वजह से उन्हें बहुत प्यास लगी थी इतने में उन्हें एक वैश्य कन्या पानी ले कर जाती दिखी| उन्होंने उससे पानी माँगा और पानी पीने के बाद प्रसन्न होकर उन्होंने उस कन्या को ऐसे पुत्र की माता बनने का आशीर्वाद दिया जिसके ज्ञान प्रकाश से सारा संसार प्रकाशमान होगा|
ये सुनते ही कन्या विचलित हो उठी और ऋषि से कहा की मैं तोह अभी अविवाहित हूँ तब ऋषि उसे अपने साथ अपने आश्रम ले गए और घांस का एक बालक बना कर उसकी गोद में रख कर भगवान् धन्वन्तरी की आराधना की जिससे वो बालक जीवित हो उठा और इस प्रकार भगवान् धन्वन्तरी संसार में अवतरित हुए| कुछ लोग यह मानते हैं की ब्रम्हा जी द्वारा रचित आयुर्वेद शास्त्र का अध्ययन अश्विनी कुमारों ने किया था और अनेक रोगों की रोकथाम के लिए धन्व नामक देवता को धरती पर भेजा था जो की धन्वन्तरी के नाम से जाने जाते है| परन्तु ज्यादातर लोगों का मानना है की भगवान् धन्वन्तरी समुद्र मंथन से अवतरित हुए थे| खैर सच्चाई जो भी हो परन्तु आज भी निरोगी काया के लिए धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है जिसमे भगवान् धन्वन्तरी से लम्बी आयु और निरोगी काया मांगी जाती है|