कौवा एक ऐसा पक्षी है जो की देखने में तो कुरूप होता ही है साथ ही उसकी आवाज़ भी कानों को अप्रिय लगती है| इतनी खामियां होने के बावजूद हमारे वेद पुराणों में कई कथाओं में इस पक्षी का वर्णन है आखिर क्यों यह सवाल आपके जहन में भी ज़रूर कौंधता होगा| शास्त्रों के अनुसार कौवे में कई विलक्षण क्षमताएं होती हैं माना जाता है की कौवा भविष्य में घटने वाली घटनाओं के बारे में पहले ही जान लेता है यानी की उसे भविष्य का पूर्वआभाष हो जाता है|
आज भी सुबह सुबह घर की छत पर या घर के आँगन में जब भी कौवा बोलता है तो माना जाता है की कोई मेहमान आने वाला है| जब हम छोटे थे तो घर के बच्चों में ख़ुशी का माहौल होता था की अगर कोई मेहमान आएगा तो मिठाइयाँ अवश्य लाएगा और हमे मिठाई तो मिलेगी ही साथ ही शैतानी करने पर उस समय माँ की मार से भी बच जायेंगे| सभी कौवों का आँगन या छत पर बैठ कर बोलना किसी के आने का संकेत नहीं देता बल्कि ऐसा कौवा जो की पूरी तरह से काला हो यानी जिसका शरीर उपर से लेकर नीचे तक एक ही वर्ण का हो उसे अशुभ माना जाता है अगर ऐसा कोई कौवा आपके आँगन में बैठ कर बोलता है तो समझ लीजिये की आप पर कोई भारी विपदा आने वाली है|
इतना ही नहीं आपने कभी भी किसी कौवे को बीमार होते हुए या वृद्ध होकर मरते नहीं देखा होगा इनकी मृत्यु आकास्मिक होती है| माना जाता है की कौवे यमराज के दूत होते हैं इसी वजह से यमराज ने इन्हें वरदान दिया था की इनकी मृत्यु आकास्मिक ही होगी ना तो इन्हें कोई बिमारी होगी ना ही इन्हें बुढापा आएगा|
कुछ लोगों का यह भी मानना है की अगर किसी अच्छे मनुष्य की असमय मृत्यु होती है और अगर उसकी आत्मा में क्षमताएं है तो वह कौवे के शारीर में प्रवेश कर विचरण कर सकता है| साथ ही यमराज का दूत होने की वजह से लोग जब अपने पितरो की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्ड दान करते हैं तो कौवों के लिए भी अलग से पिण्ड रखे जाते हैं| ऐसा करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह माना जाता है की पिण्ड को खा कर कौवे प्रसन्न हो जायेंगे और पिण्ड दान करने वालों को जाकर उनके बच्चों के कुशलता का समाचार देंगे जिससे की उनके पितरों की आत्मा को शान्ति मिलेगी| माना जाता है की यमराज का दूत होने की वजह से इनके यमलोक में आने जाने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है|
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