महाराजा पृथु के पुत्रों ने जब समुद्रों का निर्माण किया था तो सातों समुद्र मीठे पानी और दूध जैसी द्रव्यों के थे| सभी ने कभी न कभी अवश्य सुना होगा की भगवान् विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर विराजमान होते हैं|
जी हां क्षीर का मतलब दूध होता है आपके मन में ये ख़याल जरूर आया होगा की क्या वेदों में गलत लिखा है| अगर आपके मन में भी ये विचार आया है तो हम बता देना चाहते है की वेदों में जो लिखा है वो सत्य है| एक समय सच में समुद्र जिसे क्षीरसागर भी कहा जाता है उसमे खारे पानी की जगह दूध भरा था|
उसी क्षीरसागर के मंथन से कामधेनु, माता लक्ष्मी, अप्सराएँ और अमृत कलश की प्राप्ति हुई थी लेकिन समुद्र के पानी के खारा होने के पीछे ये वजह नहीं है| बात उस समय की है जब हिमालय की पुत्री देवी उमा ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या आरम्भ की| उनकी इस कठिन तपस्या से धरती, पाताल और देव लोक तीनो लोक कापने लगे इस भूकंप से कुपित होकर सभी देवताओं में आपस में विचार विमर्श किया|इसी बीच समुद्र देवता ने कई तरह के ताने देने शुरू कर दिए और भगवान् शिव के बारे में भी बुरा भला बोलने लगे| समुद्र देवता देवी उमा की सुन्दरता देख कर उन पर मोहित हो गए थे और अपनी भावनाओं के वशीभूत होकर उन्होंने ऐसा किया था|
इतना ही नहीं जब भगवान् शिव और बाकी देवताओं ने उनके इस कृत्य के लिए उन्हें क्षमा कर दिया तो उनका साहस और बढ़ गया| समुद्र देव सीधा देवी उमा के पास पहुंचे और उनके सामने स्वयं से विवाह करने का प्रस्ताव रखा परन्तु देवी उमा ने ये कहते हुए उनका आग्रह ठुकरा दिया की उन्होंने मन ही मन भगवान् शिव को अपना पति मान लिया है अतः वो किसी और से विवाह नहीं कर सकती| हिन्दू धर्म के अनुसार अगर कोई स्त्री किसी पुरुष को अपने पति के रूप में वरन कर लेती है तो उसका किसी और पुरुष के बारे में सोचना भी जघन्य अपराध होता है|
ये सुनते ही समुद्र देवता के क्रोध की कोई सीमा न रही और उन्होंने घमंड में चूर होकर भगवान् शिव के बारे में बहुत ही बुरा भला कहा उन्होंने कहा की उस शमशान निवासी अघोरी के ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है| उस भस्मधारी से विवाह करके तुम्हे कैलाश पर भूत पिशाचों के बीच में रहना पड़ेगा| अभी भी समय है अपना फैसला बदल लो और मुझसे विवाह कर के मेरे साथ मेरे महल में रानी की तरह निवास करो| मेरे समुद्र दूध और मीठे जल से भरे हुए हैं इसलिए मैं तुम्हारा पति बनने का अधिकारी है| उनके इन कठोर वचनों से आहत होकर देवी उमा ने उन्हें श्राप दिया की जिस मीठे जल और दूध पर तुम्हे अभिमान है वो जल खारा हो जायेगा| और तभी से समुद्र का जल खारा हो गया|