कुल्लू भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित एक शहर है। कुल्लू का नाम पहले कुलंथपीठ था, इसका अर्थ है रहने योग्य दुनिया का अंत। कुल्लू घाटी भारत में देवताओं की घाटी रही है। मगर इसका इतिहास काफी हद तक भगवान शिव के साथ जुड़ा है| आइये जानते हैं कैसे:-
भारत में महादेव के कई अद्भुत मंदिर मिलेंगे| उनमे से एक है है कुल्लू का बिजली महादेव मंदिर| कुल्लू शहर का इतिहास महादेव से इसी मंदिर के रूप में जुड़ा है| यह जगह समुद्र तल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| यहां सर्दियों में भरी भरफबारी होती है परन्तु भक्त हर ऋतू में यह दूर-दूर से आते हैं|
कुल्लू में रहने वाले लोगों का मानना है कि कुल्लू शहर सांप जैसा है क्योंकि यहां पर कभी कुलान्त नाम का राक्षस रहता था जो अजगर के रूप में मंडी शहर से मथाण गांव तक आ गया| वह वहां के रहने वाले सभी जीव-जंतुओं को मारना चाहता था इसलिए उसने ब्यास नदी का पानी रोक कर इस पूरी जगह को पानी में डुबोने की योजना बनाई|
उसने अपनी योजना अनुसार नदी का बहाव रोक दिया| ऐसा दृश्य देख कर भगवान शिव परेशान हो गए| उस जगह को बचाने के लिए महादेव ने बहुत कोशिश की पर असफल रहे| फिर किसी तरह शिव जी ने उस राक्षस को अपनी बातों में फसाया और उसके कान में कहा कि उसकी पूंछ में आग लग गयी है|
जैसे ही कुलान्त पीछे की ओर मुड़ा वैसे ही भगवान शिव ने उसके सिर पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया| इस तरह उस जगह को कुलान्त राक्षस से मुक्ति मिली| परन्तु मृत्यु के बाद उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया| कुल्लू घाटी का बिजली महादेव मंदिर से रोहतांग और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है।
कुलान्त राक्षस के मरने के उपरांत शिव जी ने इंद्र देव को यहां 12 साल में एक बार बिजली गिराने को कहा| मगर भगवान शिव नहीं चाहते थे कि बिजली के कारण यहां का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाए| इसलिए शिव जी ने इसे अपने ऊपर ले लिया| तभी से आज तक कुल्लू के बिजली महादेव मंदिर में शिवलिंग पर हर 12 वर्षों में बिजली गिरती है|
बिजली के गिरने से शिवलिंग खंडित हो जाता है| फिर मंदिर के पुजारी शिवलिंग के टुकड़ों को इकट्ठा कर के मक्खन से जोड़ते हैं| फिर कुछ ही महीनों में वह फिर से उसी रूप में आ जाता है जैसे पहले था|
भगवान शिव यह बिजली अपने ऊपर ले लेते हैं इसलिए इस मंदिर को बिजली महादेव कहा जाता है| इस स्थान पर भगवान शिव ने राक्षस कुलान्त का वध किया था तो कुलान्त के नाम पर इस जगह को कुल्लू कहा जाता है| कुल्लू से मंदिर का रास्ता लगभग 7 किलोमीटर का है| शिवरात्रि पर यहां भक्तों का सैलाब देखने वाला होता है|
पहाड़ियों के बीच स्थित इस शहर का इतिहास भगवान शिव और बिजली महादेव मंदिर के चारों ओर घूमता है|