भारत में वैदिक काल से प्रचलित सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार माथे की रेखाओं के आधार पर किसी इंसान के भूत, भविष्य और वर्तमान व स्वभाव की जानकारी प्राप्त हो सकती है| इसके लिए किसी भी व्यक्ति के माथे की स्थिति, आकार-प्रकार, रंग तथा चिकनाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए|
सामुद्रिक शास्त्र में मस्तक के 3 प्रकार बताए गए हैं-
- उन्नत मस्तक- ऐसा मस्तक सामान्य से थोड़ा उठा हुआ और चिकना होता है, इस पर रेखाएं स्पष्ट नजर आती हैं|
- सामान्य मस्तक- ऐसा मस्तक चेहरे के अनुरूप होता है, इस पर रेखाएं आसानी से नज़र आती है|
- निम्न मस्तक- ये सामान्य से थोड़ा अंदर की ओर धंसा रहता है, हल्का सा काला होने के कारण इस पर रेखाएं साफ नज़र नही आती|
मस्तक की रेखाएं व उनसे होने वाले प्रभाव:
शनि रेखा
यह रेखा मस्तकमें सबसे ऊपर वाले स्थान पर स्थित है, यह अधिक लंबी नहीं होती, केवल मस्तक के मध्य भाग में ही दिखाई देती है| इस रेखा के आस-पास का भाग शनि ग्रह से प्रभावित माना जाता है| जिस व्यक्ति के मस्तक पर यह रेखा स्पष्ट दिखाई देती है, इसका मतलब यह है की वह व्यक्ति गंभीर स्वभाव का है| यदि एक उन्नत मस्तक यानि थोड़ा उठा हुआ मस्तक पर शनि रेखा हो तो ऐसे लोग रहस्यमयी, गंभीर व थोड़े अंहकारी होते है| इनके जानकारी बहुत कम लोगों के पास होती है, ये सफल जादूगर या तांत्रिक हो सकते है|
गुरु रेखा
शनि रेखा से थोड़ी नीचे ही गुरु रेखा का मस्तक पर स्थान होता है, यह रेखा शनि रेखा की तुलना में थोड़ी लंबी होती है| पढ़ाई, विचार, इतिहास संबंधी रुचि एवं महत्वाकांक्षा आदि की सूचक गुरु रेखा होती है| जिस व्यक्ति के मस्तक पर यह रेखा लंबी एवं स्पष्ट दिखाई देती है, वे लोग सरकारी नौकरी या शिक्षा के क्षेत्र में अपना नाम कमाते है| वह आत्मविश्वासी व अपनी बात के पक्के होते है, ऐसे लोगों पर आंख बंद कर विश्वास किया जा सकता है|
बुध रेखा
बुध रेखा लगभग मस्तक के बीच में होती है, यह रेखा लंबी होती है और कभी-कभी तो व्यक्ति की दोनों कनपटियों के किनारों को स्पर्श करती है| बुध रेखा व्यक्ति की याददाश्त, अन्य विषयों में उसका ज्ञान, सूझ-बूझ एवं ईमानदारी की सूचक होती है| यदि यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो ऐसा व्यक्ति तेज याददाश्त वाला, सही-गलत की सोच रखने वाला, उच्च मानसिक क्षमता वाला होता है| ऐसे लोगों में किसी भी इंसान को परखने की क्षमता अधिक होती है|
शुक्र रेखा
इस रेखा का स्थान बुध रेखा के ठीक नीचे मध्य भाग मेंहोता है, इस रेखा का आकार छोटा होता है| यह रेखा उत्तम स्वास्थ्य, भ्रमण प्रवृत्ति, आकर्षक एवं सम्मोहक व्यक्तित्व की सूचक होती है| उन्नत मस्तक पर यदि यह रेखा स्पष्ट रूप से दिखाई दे तो ऐसे व्यक्ति उच्च जीवन शक्ति से युक्त, घूमने-फिरने वाले, सौंदर्य प्रेमी एवं जरूरी मुद्दों पर गंभीर होने वाले होते है| ऐसे लोग स्वच्छ, साफ तथा सफेद रंग अधिक पसंद करते हैं|
सूर्य रेखा
यह रेखा मनुष्य की दाईं आंख की भौंह केऊपर होती है, और अधिक लंबी नहीं होती, सिर्फ आंख के ऊपर सीमित रहती है| यह रेखा प्रतिभा, सफलता, यश तथा समृद्धि की प्रतीक होती है| यदि यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो ऐसे व्यक्ति में अद्भुत सूझबूझ होती है और वे अनुशासन में रहना पसंद करते हैं| शास्त्र के अनुसार ये लोग अच्छे गणितज्ञ, शासक या नेता हो सकते हैं और अपने सिद्धांतों तथा व्यवहार से लोगों को बहुत जल्दी प्रभावित कर लेते है|
चंद्र रेखा
यह रेखा बांई आंख की भौंह के ऊपरहोती है, यदि यह रेखा सरल, सीधी व स्पष्ट हो तो ऐसा व्यक्ति कलाप्रेमी, विकसित बुद्धि वाला तथा कल्पनाशील होता है| इनकी रुचि चित्रकला, गायन, संगीत आदि क्षेत्रों में होती है|