नमस्ते और नमस्कार भारतीय संस्कृति का एक एहम हिस्सा है, किसी से मिलते समय दोनों हथेलियों को मिलाकर सामान्य नमस्कार की जाती है| यह नमस्कार विभिन्न धर्मों में भिन्न–भिन्न नामों से प्रचलित है। कहीं लोग राम–राम, जय श्रीराम करते हैं तो कहीं नमस्ते, नमस्कार, जय माता की, राधे राधे बोल कर मिलते हैं। अन्य धर्मों में सलाम अलेकुम, सत-श्री -अकाल, भोले बाबा की जय आदि नामों से नमस्कार की एक परंपरा का निर्वाह किया जाता है। धर्म कोई भी हो, नमस्कार तो किसी न किसी रूप में होता ही है।
यह शब्द संस्कृत के नमस शब्द से निकला है। इसका अर्थ है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। इसकी उत्पत्ति इस प्रकार है- नमस्ते= नमः+ते अर्थात् तुम्हारे लिए प्रणाम|
नमस्कार की मुद्रा : इसका प्रयोग किसी व्यक्ति से मिलने अथवा उससे विदाई लेते समय, दोनों में किया जाता है| नमस्कार करते समय व्यक्ति की पीठ आगे की ओर झुकी हुर्इ, छाती के मध्य में हथेलियाँ आपस में जुड़ी हुई व उंगलियां आकाश की ओर होती है| इस मुद्रा के साथ साथ वह व्यक्ति ‘नमस्ते’ या ‘नमस्कार’ शब्द बोलते हुए अभिवादन करता है । हाथों की इस मुद्रा को नमस्कार मुद्रा कहते है|
नमस्कार तीन प्रकार के होते है:
सामान्य नमस्कार- प्रतिदिन हमसे कोई न कोई मिलता है जो हमे नमस्कार करता है, तो हम भी उन्हें दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं|
पद नमस्कार- इस नमस्कार के अनुसार हमे अपने बड़े बुजुर्गों के, माता पिता के पैर छूकर नमस्कार करनी चाहिए|
साष्टांग नमस्कार- यह नमस्कार सिर्फ मंदिर में भगवान को नमन करने के लिए किया जाता है|
नमस्कार करने के तरीके: नमस्कार करते समय मन में अच्छी भावना रखकर दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते शब्द का उच्चारण करें और मात्र 2 सेकंड के लिए अपनी आँखे बंद कर ले ऐसा करने से आँखे और मन रिफ्रेश हो जाएंगे| इस बात का हमेशा ध्यान रखे की जब आप नमस्कार कर रहे हो तो आपके हाथों में कोई वस्तु नहीं होनी चाहिए|
अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों और माता-पिता आदि और अपने गुरु के पैर छूकर नमस्कार करें| हाथ जोड़ते समय उंगलियों के बीच अंतर न रखें और उन्हें ढीला रखें|
मंदिर में देवता को नमन करते समय दोनों हथेलियों को छाती के पास जोड़कर पीठ को आगे की तरफ झुकाएं और पैरों में चप्पल व जूते पहने बिना नमन करें| हनुमान मंदिर और कालिका के मंदिर में सभी को सर ढक कर ही नमस्कार करना चाहिए|
नमस्कार के लाभ: अगर आप अपने मन में अच्छी भावना रखकर नमस्कार करोगे तो आपके मन में निर्मलता बढ़ेगी और आपकी सकारात्मक सोच में वृद्धि होगी|
आपके अच्छे से नमस्कार करने के तरीके को देखकर सामने वाले के मन में आपके प्रति अच्छे भावों का विकास होगा| यह आपके साधारण और व्यवाहरिक जीवन में लाभ पहुंचाएगा|
मंदिर में नमन करने से व्यक्ति का मस्तिष्क शांत होता है और वो अपनी परेशानियों के हल निकाल पाएगा|
ग्रामीण महिलाएं अपने से ब़डी महिलाओं के चरण स्पर्श कर उन पर हल्का दबाव डालती है और जिस बुजुर्ग महिला के पैर दबाए जा रहे होते हैं, वह हमेशा दुआएँ, आशीर्वाद, आशीष, सदवचन बोलती रहती है|