शिवलिंग पूजा की विधि

शिवलिंग भगवान शिव और देवी पार्वती का आदि-अनादि रूप है| यह पुरुष और स्त्री की समानता का प्रतीक भी है| लिंग शब्द का अर्थ है- चिन्ह, निशानी या प्रतीक|  इस संसार में दो चीज़े हैं ऊर्जा और पदार्थ| हमारा शरीर पदार्थ है और आत्मा ऊर्जा है|  इसी प्रकार शिव पदार्थ और पार्वती ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है यानि दो नहीं एक ही है परन्तु दो हो कर सृष्टि का निर्माण करते हैं|

शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य शिवलिंग बना कर उसकी विधि-विधान के साथ पूजा करता है, वह शिवस्वरूप हो जाता है। शिवलिंग पूजा की शास्त्रों द्वारा बताई गयी विधि कुछ इस प्रकार है:

सबसे पहले सफ़ेद कपड़े के आसान पर शिवलिंग को रखें और स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह कर के बैठें| शिवलिंग पूजा की सामग्री एकत्रित करें| सामग्री में जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध, हल्दी और चंदन ज़रूर हों| इसके बाद शिवलिंग की दाहिनी तरफ़ दीप जलाएं|

थोड़ा सा जल हाथ में लेकर इन तीन मंत्रों का उच्चारण कर के उसे पि लें:

  • पहला मंत्र- ॐ मृत्युभजाय नमः
  • दूसरा मंत्र- ॐ नीलकण्ठाय नमः
  • तीसरा मंत्र- ॐ रुद्राय नमः

इसके बाद ‘ॐ शिवाय नमः’ का उच्चारण करते वक़्त बायीं ओर से हाथ धो कर जल चढ़ाएं| अपने हाथ में चावल तथा फूल ले कर ॐ नमः शिवाय का 5 बार स्मरण करें और फूल तथा चावल शिवलिंग पर चढ़ा दें| इसके बाद ॐ नमः शिवाय का निरंतर उच्चारण करते रहें|

फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ॐ पार्वत्यै नमः मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान करें और चावल तथा पुष्प शिवलिंग पर चढ़ा दें| इसके बाद ॐ नमः शिवाय का निरंतर उच्चारण करें| फिर मोली और बनेऊ को शिवलिंग पर चढ़ा दें|

इसके पश्चात चंदन और हल्दी का तिलक लगा दें| चावल और पुष्प अर्पण कर के मीठे का भोग लगा दें| भांग, धतूरा एवं बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं फिर शिव की आरती कर प्रसाद ग्रहण कर लें|

इन चीज़ों का खास ख्याल रखें –

  • भगवान पारदेश्वर का महाअभिषेक उत्तर की ओर मुँह करके शिव का पूजन करें
  • शिवजी के आगे पूरब को न बैंठें बल्कि उत्तर को ही बैंठें।
  • चम्पा और केतकी के फूल छोड़कर सब फूल शिवजी के ऊपर चढ़ाये जा सकते हैं।
जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है। शिवलिंग का सविधि पूजन करने से मनुष्य सन्तान, धन, धन्य, विद्या, ज्ञान, सद्बुद्धि, दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति करता है। जिस स्थान पर शिवलिंग की पूजा होती है, वह तीर्थ न होने पर भी तीर्थ कहलाता है। शिव शब्द के उच्चारण मात्र से मनुष्य अपनें पापों से मुक्त हो जाता है|

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *