नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। उनके हर रूप और हर नाम में एक दैवीय शक्ति को पहचानना ही नवरात्रि मनाना है।
देवी माँ के नौ रूप
शैलपुत्री
शैल का अर्थ है शिखर और शैलपुत्री का अर्थ है – पहाड़ों या शिखर की पुत्री। दुर्गा को शैल पुत्री कहा जाता है क्योंकि जब ऊर्जा अपने शिखर पर होती है, केवल तभी आप शुद्ध चेतना या देवी रूप को देख, पहचान और समझ सकते हैं।
ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मा असीम है जिसमें सबकुछ समाहित है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है अनंत में व्याप्त, अनंत में गतिमान – असीम। ब्रह्मचारिणी चेतना है, जोकि सर्व-व्यापक है।
चन्द्रघंटा
इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा
इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता
इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता। यह वो दैवीय शक्ति है जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं|
कात्यायनी
यह वो शक्ति है जोकि अच्छाई के क्रोध से उत्पन्न होती है। च्छा क्रोध ज्ञान के साथ किया जाता है और बुरा क्रोध भावनाओं और स्वार्थ के साथ किया जाता है। ज्ञानी का क्रोध भी हितकर और उपयोगी होता है; जबकि अज्ञानी का प्रेम भी हानिप्रद हो सकता है। इस प्रकार, कात्यायनी क्रोध का वो रूप है जो सब प्रकार की नकरात्मकता को समाप्त कर सकता है।
कालरात्रि
इसका अर्थ- काल का नाश करने वाली। कालरात्रि देवी माँ के सबसे क्रूर,सबसे भयंकर रूप का नाम है। दुर्गा का यह रूप ही प्रकृति के प्रकोप का कारण है। प्रकृति के प्रकोप से कहीं भूकंप, कहीं बाढ़ और कहीं सुनामी आती है; ये सब माँ कालरात्रि की शक्ति से होता है। इसलिये, जब भी लोग ऐसे प्रकोप को देखते हैं, तो वो देवी के सभी नौ रूपों से प्रार्थना करते हैं।
महागौरी
महागौरी, माँ का आठवां रूप, अति सुंदर है, सबसे सुंदर। सबसे अधिक कोमल, पूर्णत: करुणामयी, सबको आशीर्वाद देती हुईं। यह वो रूप है, जो सब मनोकामनाओं को पूरा करता है।
सिद्धिदात्री
इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।