हिंदू धर्म में कई ऐसे देवी देवता हैं, जिनपर शराब का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। यह एक बहुत ही अद्भुत और आश्चर्यजनक बात है। जिनमें से कुछ देवी देवतायों के बारे में आज हम जिक्र करने जा रहे हैं –
महाकाल की नगरी उज्जैन शहर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर काल भैरव का मंदिर स्थित है। जिन्हें महाकाल का सेनापति कहा जाता है। कहते हैं काल भैरव वाम मार्गी देवता है जिन की साधना तांत्रिक एवं मांत्रिक करते हैं। मान्यता है कि यहां किसी समय तंत्र साधना के लिए केवल तांत्रिक आया करते थे, उन्हीं की साधनाओं से यहां काल भैरव को शराब चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है। भैरव बाबा की खूबी यह है कि उनके मुख से शराब की बोतल लगाते ही बोतल खाली होने लगती है। शराब कहां चली जाती है इस बात का पता आज तक कोई नहीं कर सका है। भैरव बाबा को इस तरह शराब पीते देखना और बोतल को खाली होते देख लोगों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित महामाया देवी, जिन्हें महामाया 24 खंबा माता के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि मंदिर में काले पत्थर के 24 खंबे है| इस मंदिर में नवरात्र की अष्टमी तिथि को देवी की पूजा शराब से की जाती है, कहते हैं यह परंपरा महाराज विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। विक्रमादित्य नगर की रक्षा के लिए नगर की देवी की पूजा करते थे। इस पूजा में शराब का भी प्रयोग किया जाता था। आज भी इस परंपरा को निभाया जाता है। इस पूजा द्वारा राज्य की सुरक्षा और शांति को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। माता की अपार कृपा पाने के लिए भी इस पूजा को किया जाता है और शराब को चढाने पर माता का आशीर्वाद भी मिलता है।
राजस्थान में भी कुछ ऐसी ही अद्भुत देवियाँ हैं। राजस्थान के नागौर जिले में माँ भुवाल काली माता का मंदिर स्थित है। माता के बारे में यह मान्यता है कि यह माता भक्तों से ढाई प्याला शराब ग्रहण करती है। अंतिम प्याले में बचे हुए शराब को भैरव पर चढ़ाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि डाकुओं ने इस मंदिर का निर्माण किया था, क्योंकि माता ने उनके प्राण बचाए थे। डाकुओं ने माता का उपकार मानते हुए उनकी पूजा करने का विचार किया, लेकिन उस समय उनके पास प्रसाद चढ़ाने के लिए शराब के अलावा कुछ भी नहीं था।
डाकू ने माता को शराब भेंट की तो एक के बाद एक ढाई प्याले खत्म हो गए। इसके बाद से ही यहां मनोकामनाएं पूरी करने के लिए शराब चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गयी और यह परंपरा उसी तरह आज भी निभाई जा रही है। लोगों का विश्वास उसी तरह आज भी बना हुआ है और उनकी मनोकामनाएं पूरी भी होती है।
धर्म नगरी हरिद्वार में स्थित माँ दक्षिण काली का मंदिर है। इस मंदिर में माँ काली को हर शनिवार कई श्रद्धालु शराब चढ़ाने आते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि देवी को शराब चढाने से शराब की लत छूट जाती है। यानी नशे से मुक्ति के लिए यहां शराब चढ़ाने की मान्यता है और यह मान्यता कई वर्ष पुराने समय से चलती आ रही है।