हमें अपने द्वारा किये गए पापों का फल अवश्य भुगतना पड़ता है। परन्तु हम सब से अनजाने में भी अनेक पाप हो जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि अनजाने में कोई पाप हो जाए तो उस पाप से मुक्ति के उपाय भी शास्त्रों में दिए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप भूल से किये गए पापों से मुक्ति पा सकते हैं।
श्रीमद्भागवत जी के षष्टम स्कन्ध में महाराज परीक्षित ने शुकदेव जी से सवाल किया था कि चलते समय हमारे द्वारा चींटी मरना, सांस लेते समय कितने ही जीवों का हमारे द्वारा मरना आदि अनेक पाप हैं। जो हमसे अनजाने में हो जाते हैं तो उस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है?
आचार्य शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित को उत्तर देते हुए कहा कि अगर आप ऐसे पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो प्रतिदिन 5 प्रकार के यज्ञ करने चाहिए।
पहला यज्ञ है जब घर में रोटी बने तो पहली रोटी गाय के लिए निकाल देनी चाहिए।
दूसरा यज्ञ है कि प्रतिदिन वृक्षों की जड़ों के पास चींटियों को 10 ग्राम आटा डालना चाहिए।
तीसरा यज्ञ है कि पक्षियों को अन्न रोज डालना चाहिए।
चौथा यज्ञ है कि आटे की गोली बनाकर रोज जलाशय में मछलियो को डालनी चाहिए।
पांचवां यज्ञ है भोजन बनाकर अग्नि को भोजन अर्पित करना, यानी रोटी बनाकर उसके टुकड़े करके उसमें घी-चीनी मिलाकर अग्नि को भोग लगाएं।
कभी भी भिखारी को जूठा अन्न भिक्षा में न दें।
हमेशा अतिथि का खूब सत्कार करें।