रामायण के कुछ अनसुने और विचित्र सत्य

रामायण हिन्दू धर्म का मुख्य ग्रन्थ है। परन्तु रामायण की सम्पूर्ण गाथा के बारे में केवल कुछ लोग ही जानते हैं। तुलसीदास जी द्वारा लिखी गयी श्री रामचरित मानस और ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गयी रामायण में ऐसे अनेक तथ्य हैं जिनका जिक्र कम ही सुनने को मिलता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।

रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने बताया है कि सीता स्वयंवर के समय श्रीराम ने शिव धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया।

परन्तु ऋषि वाल्मीकि की रामायण में सीता स्वयंवर का कोई जिक्र नहीं है। रामायण के अनुसार ऋषि विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण जी को अपने साथ मिथिला लेकर गए। वहां पहुँच कर ऋषि विश्वामित्र ने मिथिला नरेश से आग्रह किया कि वे उन्हें शिव धनुष दिखाए। उसी समय खेल-खेल में भगवान राम ने धनुष उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया।

जब रावण विश्व विजय के लिए स्वर्ग लोक पहुंचा। तब उसे वहां एक रम्भा नाम की अप्सरा मिली। उसे देखकर रावण उस पर मोहित हो गया और रावण ने उसे पकड़ लिया। रम्भा ने रावण से कहा कि मैं आपके बड़े भाई के पुत्र नलकुबेर के लिए हूँ। इसलिए आपकी पुत्रवधू के समान हूँ। परन्तु रावण ने उसकी एक न सुनी।

इस कारण क्रोध में आकर कुबेर के बेटे नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि उसने कभी किसी स्त्री को उसकी आज्ञा के विरुद्ध स्पर्श किया तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएँगे।

रावण के विनाश के पीछे शूर्पणखा का हाथ था। एक युद्ध के दौरान रावण ने शूर्पणखा के पति “विद्युतजिव्ह” का वध कर दिया था। जिस पर शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा नाश होगा। शूर्पणखा की नाक कान लक्ष्मण द्वारा काटने पर ही गुस्साए रावण ने सीता का हरण किया और फिर रावण का श्री राम द्वारा वध हो गया।

सोने की लंका रावण कि नहीं बल्कि उसके बड़े भाई कुबेर की थी। रावण ने लंका अपने बड़े भाई को विश्व विजय हेतु किये गए युद्ध में हराकर हासिल की थी।

रावण ने पुष्पक विमान भी कुबेर से ही छीना था।

रामायण में बताया गया है कि एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। उस समय रास्ते उसे वेदवती नाम कि स्त्री मिली। वह भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा। वेदवती के मना करने पर रावण ने उसके बाल पकड़ कर उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश की।

परन्तु रावण के हाथ लगाते ही वेदवती ने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही उसकी मृत्यु होगी और उसी क्षण उसने अपने प्राण त्याग दिए।

इस सत्य से तो हम सभी भली भांति अवगत हैं कि श्री राम ने रावण का वध किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि युद्ध के दौरान इंद्र देव ने अपना दिव्य रथ को राम जी के पास भेजा था, जिस पर बैठकर प्रभु राम ने रावण का वध किया।

इनके अलावा और भी सत्य हैं, जो इस प्रकार हैं:

हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाना – रामायण में एक महत्वपूर्ण प्रसंग है जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे। हनुमान जी हिमालय पर संजीवनी बूटी लाने गए, लेकिन सही बूटी पहचान नहीं पाने के कारण पूरी पर्वतशिला ही उठा लाए। यह घटना श्रीराम और लक्ष्मण जी के प्रति हनुमान जी की गहरी भक्ति का प्रतीक है।

सीता माता की जन्मस्थली – रामायण में सीता माता को मिथिला नरेश जनक की पुत्री बताया गया है। एक मान्यता के अनुसार, सीता जी का जन्म धरती से हुआ था जब राजा जनक हल चलाते समय उन्हें खेत से प्राप्त करते हैं। इसलिए, सीता जी को धरती की पुत्री भी कहा जाता है।

राम सेतु का निर्माण – श्रीराम ने जब रावण से युद्ध के लिए लंका की ओर प्रस्थान किया, तो रामसेतु (आधुनिक नाम: एडम्स ब्रिज) का निर्माण वानर सेना द्वारा किया गया। नल और नील नाम के वानर इस पुल के मुख्य निर्माता माने जाते हैं, और उन्होंने पत्थरों पर श्रीराम का नाम लिखकर उन्हें पानी में तैराया।

अहिल्या उद्धार – ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या को एक श्राप के कारण पत्थर बन जाना पड़ा था। श्रीराम के चरण स्पर्श से ही उनका उद्धार हुआ, और वे फिर से अपने असली रूप में आ गईं। यह घटना रामायण में श्रीराम के दयालु और करुणामय स्वभाव को दर्शाती है।

रावण का दस सिर – रावण के दस सिर प्रतीकात्मक हैं। कहा जाता है कि रावण दस विषयों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, असत्य, अंहकार, ईर्ष्या और आलस्य) पर विजय पाने की इच्छा रखता था। ये दस सिर उसके अंदर की बुराइयों के प्रतीक माने जाते हैं, जिन्हें अंततः श्रीराम ने समाप्त किया।

श्रीराम का वनवास – राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कैकेयी को दिए गए वरदान के कारण श्रीराम को 14 वर्षों के वनवास पर भेजा। यह घटना हमें धर्म और वचन पालन की महत्ता को समझाती है, जो कि हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है।

हनुमान जी और सूर्यदेव – हनुमान जी ने बाल्यकाल में सूर्य को एक फल समझकर निगलने की कोशिश की थी। उनकी इस बाल सुलभ चेष्टा ने देवताओं को चिंतित कर दिया था। अंततः इंद्र ने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया, जिससे उनकी ठुड्डी (हनु) को चोट आई और इस कारण उन्हें “हनुमान” नाम प्राप्त हुआ।

रावण का तप – रावण एक महान विद्वान और शिव भक्त था। उसने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप उसे कई वरदान मिले। माना जाता है कि रावण ने शिवलिंग को अपने निवास लंका में स्थापित करने का प्रयास किया था, लेकिन गणेश जी की एक युक्ति के कारण वह सफल नहीं हो पाया।

सीता जी का त्याग – लंका विजय और रावण वध के बाद, सीता जी को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी ताकि उनकी शुद्धता प्रमाणित हो सके। लेकिन अयोध्या लौटने के बाद भी, लोगों की आलोचनाओं के कारण श्रीराम ने उन्हें वनवास भेज दिया, जहां उन्होंने अपने बेटों लव और कुश को जन्म दिया।

सुग्रीव और बाली का संघर्ष – किष्किंधा का राज्य पाने के लिए बाली और सुग्रीव में संघर्ष हुआ। श्रीराम ने सुग्रीव की मदद करते हुए बाली का वध किया और उसे उसका खोया हुआ राज्य वापस दिलाया। बाली का वध श्रीराम के एकमात्र तीर से हुआ, जिसे उन्होंने गुप्त रूप से चलाया था।

लक्ष्मण रेखा का महत्व – रामायण में लक्ष्मण रेखा का उल्लेख आता है, जो लक्ष्मण जी ने सीता माता की सुरक्षा के लिए खींची थी। इस रेखा को पार करना निषिद्ध था, और इसका उल्लंघन करते ही रावण ने सीता जी का हरण किया। यह रेखा मर्यादा और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है।

शबरी की भक्ति – शबरी, जो एक आदिवासी महिला थी, ने श्रीराम के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा की और भक्ति में डूबी रही। जब श्रीराम उसके आश्रम में आए, तो उसने अपने चखे हुए बेर उन्हें खिलाए। श्रीराम ने प्रेमपूर्वक उन बेरों को ग्रहण किया, जो उनकी करुणा और समता को दर्शाता है।

हनुमान जी का रामायण लेखन – कहा जाता है कि हनुमान जी ने भी रामायण की कथा को लिखा था, जिसे ‘हनुमद रामायण’ कहते हैं। हालांकि, यह रामायण प्रकृति पर पत्थरों से लिखी गई थी, और बाद में वाल्मीकि ने उनसे प्रेरित होकर रामायण की रचना की।

रावण का मोहिनी रूप – एक कथा के अनुसार, रावण ने सीता जी का अपहरण करते समय मोहिनी रूप धारण किया था ताकि वह किसी को संदेह में न डाल सके। इस घटना में रावण की छल-कपट का परिचय मिलता है।

लंका का निर्माण – सोने की लंका का निर्माण वास्तुकार मयासुर ने किया था। मयासुर ने अपने तप से लंका को एक अद्भुत और स्वर्णिम नगरी के रूप में बनाया, जिसे रावण ने बाद में अधिग्रहण कर लिया।

ये तथ्य रामायण की गहराई को दर्शाते हैं और यह सिद्ध करते हैं कि यह महाकाव्य केवल युद्ध और विजय की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय गुण, भक्ति, त्याग, और धर्म के सिद्धांत समाहित हैं।

Previous Article

नवरात्रि में पूजे जाने वाले देवी माँ के नौ रूप

Next Article

ईश्वर की मर्जी में रहें खुश

Write a Comment

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *