किस भगवान का वाहन हमें क्या सिखाता है?
मनुष्य भगवान् के व्यक्तित्व से बहुत सारी काम की बातें सीख सकता है लेकिन शायद ही आप को ये पता हो की भगवान् की सवारी भी हमें बहुत सारी चीज़ें…
भगवद गीता (ज्ञानकर्मसंन्यासयोग – चौथा अध्याय : 1 – 42)
अथ चतुर्थोऽध्यायः- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ( सगुण भगवान का प्रभाव और कर्मयोग का विषय ) श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥ भावार्थ : श्री भगवान बोले- मैंने…
टमाटर में संकर बीज उत्पादन तकनीक
बीज में शुद्धता का होना, बीजोत्पादन की प्रथम सीढी है। जो कि पर परागण तथा अन्य बाह्रय पदार्थों के मिलने से प्रभावित होती है। शुद्ध बीज की गुणवता भी अच्छी…
एक ऐसा शक्तिशाली मन्त्र जिसे सुनने मात्र से ही खुल जाते है किस्मत के सभी बंद दरवाजे
वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है| अगर सही तरीके से शक्तिशाली-मंत्र का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं| इसमेें भगवान…
माता के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक ‘ज्वालामुखी मंदिर’ के दर्शन कीजिये
ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। यह हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किलो मीटर दूर स्थित है। इसकी गिनती माता के प्रमुख…
भगवद गीता के कुछ अनमोल वचन
क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो…
भगवद गीता (कर्मयोग – तीसरा अध्याय : श्लोक 1 – 43)
अथ तृतीयोऽध्यायः- कर्मयोग (ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करने की श्रेष्ठता का निरूपण) अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन । तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि…
होलिका और इलोजी की प्रेम कहानी जिसका बड़ा ही दुखद अंत हुआ था
हिरण्यकश्यप भगवान् विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था| उसने अपने राज्य में ये घोषणा करा रखी थी की विष्णु की पूजा करने वाला या फिर उसका नाम लेने…
प्रदोष व्रत कथा, विधि एवं महत्व
स्कंद पुराण के अनुसार प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी के दिन संध्याकाल के समय को “प्रदोष” कहा जाता है और इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए…
भगवद गीता (सांख्ययोग नामक – दूसरा अध्याय : श्लोक 1 – 72)
अथ द्वितीयोऽध्यायः- सांख्ययोग ( अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद ) संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ भावार्थ : संजय बोले- उस प्रकार करुणा…